प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तेजस फाइटर जेट में उड़ान भरी है. वह कर्नाटक पहुंचे थे, जहां बेंगलुरु एयरबेस से उन्होंने तेजस से उड़ान भरी. इसके साथ ही उन्होंने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत मल्टी-रोल फाइटर जेट को मंजूरी दी है. भारत आत्मनिर्भर बनने की राह पर है, जहां मेक इन इंडिया एक बड़ी पहल साबित हो रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेहद दिलचस्प अंदाज में आज तेजस फाइटर जेट में उड़ान भरी है. उन्होंने कर्नाटक के बेंगलुरु से तेजस में उड़ान भरी. ‘मेक इन इंडिया’ पर प्रधानमंत्री का बड़ा जोर है. इसके साथ ही आज पीएम मोदी ने बेंगलुरु में ‘मेक इन इंडिया’ के तहत मल्टी-रोल फाइटर जेट को मंजूरी दी है. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए केंद्र ने कई पहलें शुरू की हैं. कहा जाता है कि मेक इन इंडिया ने भारत की इस पहल को बड़ा पुश दिया है. भारत अपनी रक्षा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा विदेशमें आयात करता था, लेकिन अब कोशिश है कि स्थानी स्तर पर ही हथियारों का निर्माण हो, ताकि अन्य देशों पर निर्भरता कम हो सके.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश की रक्षा तैयारियों को बढ़ाने और स्वदेशीकरण के लिए बड़े कदम उठाए हैं, जिनमें तेजस विमान भी शामिल है. विमान का पहला संस्करण 2016 में वायु सेना में शामिल किया गया था. वर्तमान में, वायु सेना के दो स्क्वाड्रन, 45 स्क्वाड्रन और 18 स्क्वाड्रन और एलसीए तेजस पूरी तरह से परिचालन में हैं.
भारतीय कंपनी को हजारों करोड़ का मिला ऑर्डर
पीएम मोदी की अगुवाई में भारत सरकार ने 83 एलसीए एमके 1ए विमानों की डिलीवरी के लिए 36,468 करोड़ रुपए के ऑर्डर एचएएल को दिए हैं, जिसकी डिलीवरी फरवरी 2024 से शुरू होने की उम्मीद है. एलसीए तेजस के अपडेटेड वर्जन और एलसीए एमके 2 के विकास के लिए 9000 करोड़ रुपए से अधिक की मंजूरी दी गई है. विमान इंजन सहित स्वदेशीकरण को और बढ़ावा देने के लिए, जून 2023 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत में जेट इंजन के निर्माण के लिए टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर GE एयरोस्पेस के साथ बातचीत भी की गई है.
रक्षा खरीद के लिए दूसरे दशों पर निर्भरता हुई कम
आत्मनिर्भर भारत पहल के सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं, जिससे विदेशी रक्षा खरीद पर निर्भरता कम भी हुई है. इससे भारत की रणनीतिक और आर्थिक क्षमताओं को मजबूती मिली है. दूसरे देशों से रक्षा खरीद पर खर्च का हिस्सा 2018-19 में 46 फीसदी से घटकर दिसंबर 2022 तक 36.7 फीसदी रह गया है.
भारतीय कंपनियों ने बेचे 70 हजार करोड़ से ज्यादा के हथियार
मेक इन इंडिया इनिशियेटिव के तहत बताया जाता है कि भारतीय रक्षा निर्माताओं ने 70,500 करोड़ रुपए के हथियार बेचे हैं, जिनमें सबसे खास ब्रह्मोस मिसाइल शामिल हैं. इनके अलावा भारतीय कंपनियों ने नौसेना के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉर सिस्टम और समुद्री अभियानों के लिए हेलिकॉप्टर का निर्माण भी किया है. वायु सेना ने सुखोई SU-30 MKI जेट के लिए लंबी दूरी के स्टैंड- ऑफ हथियार को भी मंजूरी दी है.
भारत ने लाखों डॉलर के हथियार का किया एक्सपोर्ट
गौरतलब है कि, भारत अपनी डोमेस्टिक डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग को मजबूत कर रहा है. हथियारों का निर्यात भी किया जा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो पिछले छह-सात सालों में रक्षा निर्यात आठ गुना बढ़ा है. मसलन, 2016 से 2022 तक भारत ने 13,900 करोड़ का रक्षा निर्यात किया. भारत की 2024-25 तक डिफेंस एक्सपोर्ट को 35000 करोड़ रुपए तक ले जाने की कोशिश है. अगर कुछ बड़े सौदों की बात करें तो इंडोनेशिया को 250 मिलियन डॉलर के 155 एमएम और 40 एमएम राइफल का एक्सपोर्ट शामिल है. इनके अलावा अर्मेनिया के साथ 375 मिलियन डॉलर के पिनाका मिसाइलों का सौदा इसी मेक इन इंडिया पहल का नतीजा है, जो भारत सरकार की एक बेहद ही खास पहल है.