Lok Sabha Election 2024: शहाबुद्दीन के सीवान में क्या कह रही है सियासत, 24 की चौसर में कौन देगा शह किसकी होगी मात

बिहार में आगामी चुनाव को लेकर सभी 40 लोकसभा सीटों पर राजनीतिक मंथन शुरू हो गया है. चुनावी चर्चा के बीच आज हम आपको बिहार की हॉट लोकसभा सीटों में शुमार सिवान सीट का इतिहास और समीकरण बताने जा रहे हैं.

Lok Sabha Election 2024: बिहार में आगामी चुनाव को लेकर सभी 40 लोकसभा सीटों पर राजनीतिक मंथन शुरू हो गया है. चुनावी चर्चा के बीच आज हम आपको बिहार की हॉट लोकसभा सीटों में शुमार सिवान सीट का इतिहास और समीकरण बताने जा रहे हैं. बता दें कि बिहार में चुनाव शुरू होते ही सिवान की सीटों पर कई लोगों की नजर रहती है और सिवान का इतिहास भी काफी मशहूर है. आपको बता दें कि सीवान लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं जो यहां से सांसद चुनने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं.

बता दें कि सीवान लोकसभा सीट के अंतर्गत सीवान, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दारौंदा, बड़हरिया विधानसभा सीटें आती हैं. वहीं 1984 के बाद इस सीट से कांग्रेस का सफाया हो गया और उसके बाद से कांग्रेस कभी भी इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई. वहीं चर्चित एसिड अटैक मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन को उम्रकैद की सजा सुनाये जाने के बाद राजद कमजोर हो गयी और यहां के मतदाताओं का चुनावी मूड भी बदल गया.

देश के पहले राष्ट्रपति का जन्मस्थान है सिवान

साथ ही आपको बता दें कि देश के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की धरती सीवान की राजनीति बिहार में हमेशा चर्चा का विषय रही है. हालांकि सीवान 1957 से ही लोकसभा सीट है, लेकिन यह 1972 में एक जिले के रूप में अस्तित्व में आया. इस लोकसभा सीट पर पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी झूलन सिंघा ने जीत दर्ज कर पार्टी का परचम लहराया था. इसके बाद लगातार 1971 तक कांग्रेस जीत का परचम लहराती रही.

सीवान की सीटों पर था बाहुबली मो. शहाबुद्दीन का दबदबा

आपको बता दें कि, बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन चार बार बिहार की सीवान लोकसभा सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे. साथ ही शहाबुद्दीन एक बार जनता दल के टिकट पर और तीन बार राजद के टिकट पर संसद की सीढ़ियां चढ़ने में सफल रहे. बता दें कि 1957 में हुए पहले आम चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की महिला उम्मीदवार झूलन सिंह ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. फिर 1977 में आपातकाल के बाद भारतीय लोकदल ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली.

इस बार सीवान सीट का चुनाव होगा दिलचस्प

इस बार बिहार में राजनीतिक समीकरण बदले हुए नजर आ रहे हैं. सीएम नीतीश कुमार एनडीए से अलग होने के बाद बीजेपी और केंद्र सरकार पर जमकर तीर चला रहे हैं. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद और बीजेपी- जेडीयू के बीच मुकाबला था, जदयू उम्मीदवार कविता सिंह ने पूर्व राजद सांसद बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब (राजद उम्मीदवार) को राजनीतिक रूप से हराया था.

वहीं, सीवान सीट पर बीजेपी अब तक दो बार जीत हासिल कर चुकी है. 1989 में पहली बार बीजेपी प्रत्याशी जनार्दन तिवारी ने जीत हासिल की थी. इसके बाद 1991 में जनता दल प्रत्याशी वृषिण पटेल ने जीत का परचम लहराया. वहीं 2009 में बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करने वाले ओम प्रकाश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया. बता दें कि इस बार इस लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है, वहीं टिकट बंटवारे को लेकर जदयू और राजद के बीच मतभेद की भी संभावना जताई जा रही है.

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