तीसरी लहर से बच्चो को बचाने के लिए माँ-बाप करें यह काम

कोरोना की दूसरी लहर अपने अंतिम चरण में है. हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिखाई दे रहे हैं. अस्पतालों में अब पहले जैसी भीड़ नहीं है. आक्सीजन को लेकर वैसी मारा-मारी नहीं है मगर तीसरी लहर की दस्तक सुनाई देने से पहले ही उसके डर ने हर किसी को दहला रखा है. विशेषज्ञों ने सावधान कर दिया है कि तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर बच्चो पर होने वाला है. अपने बच्चो को कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचाया जाए यही सबसे बड़ा सवाल बन गया है.

कोरोना की पहली और दूसरी लहर का असर बच्चो पर ज्यादा नहीं हुआ लेकिन हकीकत यही है कि सबसे ज्यादा असर तो बच्चो पर ही हुआ है. करीब दो साल से घरों के भीतर कैद बच्चो के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ा है. स्कूल लम्बे समय से बंद हैं. एक क्लास अपने घरों में रहते हुए ही बच्चो ने पास कर ली है और अगली क्लास की पढ़ाई भी वह घरों में ही रहकर कर रहे हैं.

मोबाइल के ज़रिये स्कूल की पढ़ाई करने वाले बच्चो ने मोबाइल फोन को ही अपनी दुनिया बना लिया है. अधिकाँश घरों में आय के साधन बहुत सीमित हो गए हैं. कई जगह नौकरियां नहीं रह गई हैं तो कई जगह वेतन आधा रह गया है. इस वजह से घरों में कैद बच्चो की फरमाइशें भी आधी ही पूरी हो पाती हैं. ऐसे हालात में भी इस बात कर डर माँ-बाप को डराए हुए है कि तीसरी लहर का असर बच्चो पर ही ज्यादा होने वाला है.

माँ-बाप की आमदनी घटी है तो वह अपना गुस्सा बच्चो पर निकालते हैं और बच्चे एक तरफ अपनी डिमांड को पूरा होता हुआ नहीं देख रहे तो दूसरी तरफ अकारण डाट-फटकार की वजह से वह भी तनाव में हैं. वह भी गुस्सैल हो रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि माँ-बाप को बच्चो की भावनाओं को समझना चाहिए और उन्हें प्यार से समझाना चाहिए. बेहतर होगा कि माँ-बाप अपने बच्चो को तनाव से दूर रखें.

बच्चो को तनाव से दूर अच्छा माहौल देने की ज़रूरत है क्योंकि अभी उनके लिए कोविड वैक्सीन भी नहीं बनी है. तीसरी लहर आने से पहले जिन माँ-बाप का वैक्सीनेशन हो जायेगा उनके बच्चो के लिए कोरोना का संकट कम हो जायेगा. कोरोना का वायरस कम हो जाए या खत्म हो जाए लेकिन माँ-बाप को अपने बच्चो के लिए फिलहाल कोविड गाइडलाइंस का पालन करते रहना होगा. माँ-बाप क्योंकि अपने बच्चो से दूर नहीं रह सकते हैं इसलिए वह अपने बच्चो की खातिर सामाजिक मेलजोल को दूरी बनाकर कायम रखें. जहाँ बहुत ज़रूरी न हो वहां जाने से बचें क्योंकि बच्चे के करीब वायरस को ले जाने में सबसे ज्यादा योगदान माँ-बाप का ही होगा.

बच्चो की इम्युनिटी कम न हो इसका माँ-बाप को ख़ास ध्यान रखना होगा. बच्चे को अगर किसी तरह की बीमारी है तो उसका खासतौर पर ध्यान रखना होगा. माँ-बाप को यह कोशिश करनी होगी कि तीसरी लहर आने से पहले अपने बच्चे को पूरी तरह से फिट रखें ताकि उन्हें कोरोना काल में डॉक्टर के पास ले जाने की ज़रूरत न पड़े क्योंकि इस महामारी में इलाज करते-करते डॉक्टर खुद संक्रमित हो जाते हैं.

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