Bihar Politics: बिहार में एक और गठबंधन की सुगबुगाहट, पप्पू यादव बनेंगे ‘नायक’! ये दो पार्टियां भी हो सकती हैं शामिल

अगले साल होने वाले चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारी और रणनीति बनानी शुरू कर दी है. छोटे दल भी अपने सहयोगी की तलाश में हैं, जिनके सहारे उनकी चुनावी नैया पार हो सके. बिहार के राजनीतिक परिदृश्य को देखें तो सत्ता पक्ष की ओर छह दल हैं, जबकि विपक्ष में बीजेपी के साथ चार अन्य पार्टियां हैं. प्रदेश में अभी भी कई ऐसी पार्टियां हैं, जो दोनों गठबंधनों में से किसी में स्थान नहीं प्राप्त कर सकी हैं. इस स्थिति में एक और गठबंधन की सुगबुगाहट शुरू है.

इस गठबंधन में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी, ओवैसी की एआईएमआईएम और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) शामिल हो सकती है. इसमें बसपा के भी शामिल होने के कयास हैं, लेकिन, उसने फिलहाल अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा की है.

पप्पू यादव की पार्टी जाप के प्रदेश अध्यक्ष राघवेंद्र सिंह कहते हैं कि ‘इंडिया’ का उद्देश्य बीजेपी को रोकना है. हमारी वैचारिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक विचारधारा इंडिया गठबंधन के काफी करीब है. ऐसे में हम इंडिया में गठबंधन के साथ जाना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हम इंडिया गठबंधन का इंतजार कर रहे हैं. जब कोई जवाब आएगा, उसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा. छोटी पार्टियों के नेता भी हमारे संपर्क में हैं. एआईएमआईएम, बसपा, वीआईपी के नेताओं से हमारी बात हो रही है. हम लोग अभी महागठबंधन के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं.

सहनी ने दोनों गठबंधनों से बना रखी है दूरी

वीआईपी के मुकेश सहनी भी अभी निषाद आरक्षण संकल्प यात्रा में निकले हैं. इस यात्रा के दौरान मुकेश सहनी केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं. हालांकि, सहनी ने दोनों गठबंधनों से दूरी रखी है.

एआईएमआईएम भी अभी तक किसी गठबंधन के साथ नहीं है. अब ऐसे में किसी भी गठबंधन में जगह नहीं पाने वाले ये सियासी दल अपना अलग गठबंधन तैयार करने की जुगत में लग गए हैं. एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान कहते हैं कि आज जो लोग केंद्र की सत्ता में बैठे हैं, उन्हें हटाना हमलोगों की प्राथमिकता है. बीजेपी को हराने के लिए सभी को एक होने की जरूरत है, लेकिन जो गठबंधन बनाया जा रहा है, उसमे भी कई दलों को नजर अंदाज किया जा रहा है. ऐसे में लड़ाई नहीं जीती जा सकती है.

ऐसी स्थिति में माना जाता है कि अगर ये छोटे दल गठबंधन कर चुनाव में उतर जाए तो इसका सबसे बड़ा लाभ एनडीए को होना तय माना जा रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि दोनों गठबंधन वेट एंड वाच की स्थिति में हैं.

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