सहयोगी और विपक्षी दलों के लिए नीतीश कुमार अबूझ पहेली बन गए हैं। उनके बोल-बयान और काम कई बारे उनकी सरकार के सहयोगी दलों को चौंकाते हैं तो विरोधियों भी उतना ही आश्चर्य होता है। कई बार तो यह पता ही नहीं चल पाता कि नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के साथ हैं या अपने पुराने गठबंधन NDA के साथ। उन्हें समझ पाना अब उनके सहयोगी दलों के लिए भी मुश्किल हो रहा है। जबसे वे महागठबंधन के साथ आए हैं, तब से कई मौके ऐसे आए, जो उन्हें लेकर कन्फ्यूजन पैदा करते हैं। उनके बारे में सहयोगी भी आश्वस्त नहीं हैं। इसका कारण यह रहा है कि नीतीश ने सात साल में दो बार पाला बदल किया। कभी आरजेडी से हाथ मिलाया तो कभी हाथ छोड़ एनडीए से जा मिले। हाल के दिनों की बात करें तो नीतीश कुमार ने कई ऐसे संकेत दिए हैं, जिससे लगता है कि अब उनका मन विपक्षी गठबंधन से ऊबने लगा है। वे कभी एनडीए के करीब दिखते हैं तो कई बार ऐसी टिप्पणी कर देते हैं कि जिससे किसी का कन्फ्यूज होना स्वाभाविक है।
पहला कन्फ्यूजन- शाह और नीतीश का ट्यून एक जैसा
नीतीश कुमार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन महीने के अंतराल पर एक ही बात रिपीट की है। इससे लगता है कि या तो वे बीजेपी के करीब अब भी बने हुए हैं या उनका खुफिया तंत्र भाजपा खेमे की जानकारी उन तक पहुंचा देता है। जून में नीतीश कुमार ने ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा के दौरान अफसरों को सख्त हिदायत दी कि सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं को समय से पहले पूरा कर लें। इसी क्रम में उनकी जुबान से यह बात निकल गई की चुनाव समय से पहले भी हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह बात आशंका के अंदाज में कही, लेकिन इसकी पुष्टि होती तब दिखी, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने झंझारपुर दौरे पर आए। शाह ने भी वही बात कही, जो नीतीश कुमार ने तीन महीने पहले कही थी। उन्होंने कहा कि लोकसभा और बिहार विधानसभा के चुनाव एक साथ हो सकते हैं। यानी समय से पहले बिहार विधानसभा का चुनाव हो सकता है।
दूसरा कन्फ्यूजन- भोज में शामिल हुए CM नीतीश
नीतीश कुमार ने दूसरा कन्फ्यूजन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा G20 समिट ने के मौके पर आयोजित भोज में शामिल होकर पैदा कर दिया। विपक्षी खेमे के ज्यादातर मुख्यमंत्री भोज में शामिल नहीं हुए, जबकि नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुक्खू की उपस्थिति भोज में दर्ज की गई। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रसन्नचित्त भी दिखे। पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से सोशल मीडिया पर मोदी और नीतीश की ऐसी-ऐसी तस्वीरें जारी हुईं, जिन्हें देख कर विपक्षी गठबंधन के नेताओं के दिल पर सांप जरूर लोट गया होगा। एक मौके पर नीतीश की मुलाकात अमेरिका के राष्ट्रपति से पीएम कराते दिखे।
तीसरा कन्फ्यूजन- महिला आरक्षण बिल
नीतीश कुमार ने तीसरा कन्फ्यूजन महिला आरक्षण बिल को लेकर पैदा किया। महिला आरक्षण बिल का विरोध करने वाले आरजेडी की नाराजगी की परवाह किए बगैर जेडीयू ने बिना शर्त समर्थन की घोषणा कर दी। सांसदों की सर्वदलीय बैठक में जैसे ही यह तय हुआ कि संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण का बिल पेश किया जाएगा, नीतीश की पार्टी जेडीयू ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। पार्टी के प्रवक्ता और मुख्य सलाहकार केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी बिना शर्त बिल का समर्थन करेगी। जेडीयू का यह फैसला इस बात की परवाह किये बगैर था कि नीतीश कुमार जिस आरजेडी के साथ सरकार चला रहे हैं, उसके एक सांसद सुरेंद्र यादव ने वर्षों पहले लोकसभा में विरोध स्वरूप महिला आरक्षण बिल की प्रति फाड़ दी थी। लालू यादव महिला आरक्षण बिल के धुर विरोधी रहे हैं। लोकसभा में जब बिल पेश किया गया तो नीतीश ने इस पर खुशी जताई। लालू यादव की बिल को लेकर चुप्पी और नीतीश की खुशी से सियासी हलके में बगावती तेवर महसूस किए जाने लगे। हालांकि अगले ही दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव की उस मांग का समर्थन कर दिया कि एससी-एसटी के साथ और पिछड़े और अति पिछड़े वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। नीतीश कुमार की ओर से खड़ा किया गया या तीसरा कंफ्यूजन था ।
चौथा कन्फ्यूजन – प्रेस कॉन्फ्रेंस छोड़ कर लौटे
विपक्षी दलों की पटना में हुई बैठक के बाद जब बेंगलुरु और मुंबई में विपक्षी गठबंधन की बैठक हुई तो नीतीश कुमार प्रेस कान्फ्रेंस छोड़कर पटना लौट आए थे। अब जबकि यह तय हो गया है विपक्षी गठबंधन का को संयोजक नहीं होगा, समन्वय समिति ही काम करेगी, नीतीश कुमार का रुख बदला-बदला दिख रहा है। वे ऐसे मामलों में कोई रुचि नहीं रखते, जिससे विपक्षी एकता की झलक मिलती हो। यह इसी से समझा जा सकता है कि इसी महीने कोआर्डिनेशन कमेटी की जब दिल्ली में बैठक हुई और इलेक्ट्रॉनिक चैनलों के 14 एंकरों को बायकाट का फैसला लिया गया तो नीतीश को इसकी जानकारी नहीं थी । चिन्हित किए गए एंकरों की सूची भी जारी कर दी गई। इस बारे में नीतीश कुमार से जब पूछा गया उन्होंने ऐसी किसी जानकारी से साफ-साफ न सिर्फ इनकार किया, बल्कि यह भी कह दिया कि हम मीडिया पर अंकुश या बायकाट के पक्षधर नहीं हैं।
पांचवां कन्फ्यूजन- सनातन विवाद पर नीतीश की चुप्पी
नीतीश कुमार की दुविधा और संशय की स्थिति इससे भी पता चलती है कि वे विपक्षी गठबंधन की नाराजगी की परवाह किए बगैर अपने मन का काम कर रहे हं। अब तो विपक्षी एकता पर बोलने से भी वे परहेज कर रहे हैं। विपक्षी गठबंधन में शामिल कुछ दलों के नेता सनातन और हिन्दू धर्मग्रंथों की आलोचना में व्यस्त हैं तो नीतीश की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आ रही है। इतना ही नहीं, विपक्षी गठबंधन में तनातनी की स्थिति के बारे में जब उनसे पूछा गया तो इसका जवाब देने के बजाय उन्होंने तेजस्वी यादव को ही सामने कर दिया। इससे साफ है कि नीतीश कुमार जो कह रहे हैं, कर रहे हैं या सोच रहे हैं, वह किसी के लिए भी भ्रम की स्थिति पैदा कर सकता है।