Coal Crisis: हरियाणा (Haryana) में कोयला संकट (Coal Crisis) गहरा रहा है। पिछले कुछ दिनों से कोयले की किल्लत है। कोयले की कमी की वजह से बिजली सप्लाई पर भी संकट आ सकता है। हालांकि हरियाणा सरकार के डिप्टी सीएम ने इससे इन्कार किया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं होने दिया जाएगा।
गर्मी में हरियाणा (Haryana) में बिजली की मांग अधिक बढ़ गई है। हरियाणा में बिजली की किल्लत पैदा हो गई है। हरियाणा में बिजली उत्पादन के लिए अधिकतर बिजली उत्पादन संयंत्र कोयला आधारित हैं। देश में कोयले की किल्लत बढ़ गई है। इसका खतरा हरियाणा में भी मंडरा रहा है। कोयले की कमी के कारण हरियाणा में बिजली संयंत्रों को बंद करना पड़ सकता है।
बिजली किल्लत के कारण पानीपत थर्मल पावर (Panipat Thermal Power) स्टेशन की 210 मेगावाट क्षमता की यूनिट न 6 व 250-250 मेगावाट क्षमता की यूनिट नंबर 7 व 8 चल रही हैं। यूनिटों को चलाने में 1 दिन में लगभग 10500 टन कोयले की खपत होती है। पानीपत थर्मल में इस समय लगभग 66000 टन कोयला बचा है। इसके अनुसार पानीपत थर्मल पावर प्लांट में मात्र 6 से 7 दिन का ही कोयला बचा है।
1 माह का होता था स्टाक
पानीपत थर्मल पावर (Panipat Thermal Power) स्टेशन के चीफ इंजीनियर एसएल सचदेवा ने बताया कि उनके पास लगभग 1 सप्ताह का कोयला स्टाक में है। यदि बेड स्टाक को मिलाकर भी थर्मल को चलाया जाए तो भी मात्र 10 दिन का ही कोयला उनके पास है। कोयले की कमी के चलते उनके पास कोयला बहुत कम आ रहा है। पहले थर्मल में लगभग एक माह का कोयला स्टाक में रहता था।
कहां होती है बिजली सप्लाई
पानीपत थर्मल पावर प्लांट में बिजली तैयार करके दूसरे जिलों में भेजी जाती है। यहां से बिजली के दो बिजली फीडर रोहतक, दो बिजली फीडर जींद, 3 बिजली फीडर सफीदों, 3 बिजली फीडर निङ्क्षसग व एक बिजली फीडर बसताड़ा पावर हाऊस में जाते हैं। यदि कोयले की कमी के कारण थर्मल की यूनिट बंद हुई तो प्रदेश भर में बिजली संकट ओर अधिक गहरा सकता है।