पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) को पद से हटाने के लिए सोमवार को विपक्षी दलों ने संसद में अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पारित किया। संसद में अविश्वास प्रस्ताव को विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने पेश किया। अब इस प्रस्ताव पर गुरुवार को बहस शुरू होगी और अविश्वास प्रस्ताव पर 7 दिन के भीतर मतदान की प्रक्रिया पूरी होगी।
विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने जब संसद में अविश्वास प्रस्ताव को पढ़ा उसका सीधा प्रसारण किया गया था। उन्होंने प्रस्ताव को पढ़ते हुए कहा कि इस सदन का विश्वास खो देने के बाद प्रधानमंत्री को अपने पद को छोड़ देना चाहिए। हालांकि इससे पहले संसद में 25 मार्च को सत्र बुलाया था लेकिन सदन के अध्यक्ष ने प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।
सूत्रों की मानें तो विपक्षी दलों को भरोसा है कि सरकार गिराने के लिए कुल 342 सदस्यों में से 172 सदस्यों का साथ मिल सकता है लेकिन वहीं दूसरी तरफ सरकार ने दावा किया है कि उसके पास सदन में पर्याप्त समर्थन है जिससे विपक्षी दलों के प्रयास नाकाम हो जाएंगे।
2018 में पाकिस्तान का पीएम बनने से पहले इमरान खान ने जनता से नया पाकिस्तान बनाने का वादा किया था और इसी वादे के दम पर वे सत्ता में आए थे, लकिन कार्यकाल खत्म होने से पहले ही विपक्ष ने पीएम और उनकी पार्टी पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
आपको बता दें कि पाकिस्तानी संसद (नेशनल असेंबली) के सचिवालय के समक्ष विपक्षी दलों ने गत आठ मार्च को प्रधानमंत्री इमरान खान (PM Imran Khan) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सौंपा था। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी की सरकार देश में बढ़ती महंगाई और आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद से देश की राजनीति में अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे थे। विपक्ष ने सदन के अध्यक्ष से 14 दिन के भीतर सत्र बुलाने का अनुरोध किया था।
पीएम इमरान खान (PM Imran Khan) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर देश के गृह मंत्री शेख राशिद ने संवाददाताओं से कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर 31 मार्च को फैसला किया जाएगा और प्रधानमंत्री इमरान खान कहीं नहीं जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘खासकर एक दिन पहले इस्लामाबाद में हुई इमरान खान (Imran Khan) की ‘शानदार’ रैली के बाद, लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उनकी राजनीति अब हाशिये पर है।’’ उन्होंने इस अविश्वास प्रस्ताव को ‘‘पाकिस्तान को कमजोर करने की साजिश’’ करार दिया।