Kulbhushan Jadhav Case

पाक के नापाक चंगुल से कैसे बचेंगे कुलभूषण जाधव?

कुलभूषण जाधव केस में Pakistan न सिर्फ इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले को मुंह चिढ़ा रहा है जबकि वियना कन्वेंशन की भी धज्जियां उड़ा रहा है। पहले तो उसने दबाव डालकर जाधव से मनमाफिक बयान दिलवाया और बिना फेयर ट्रायल के मौत की सजा सुनाई और अब फैसले की खिलाफ अपील रोकने के लिए हर तरह का हथकंडा अपना रहा है। आइए समझते हैं कि Pakistan किस तरह जाधव को अपने चंगुल में फंसा रहा है और भारत के सामने क्या और कैसी मुश्किलें हैं, कानूनी चुनौतियां क्या हैं।


जासूसी के झूठे आरोप में मौत की सजा पाए Kulbhushan Jadhav केस में Pakistan ने नया दांव खेला है। वह अपनी सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर न कर सकें, इसके लिए Pakistan ने वही पैंतरा चला है, जिस पैंतरे से उन्हें बिना फेयर ट्रायल के मौत की सजा सुनाई गई थी यानी दबाव डालकर मनमाफिक बयान। Pakistan का दावा है कि जाधव फैसले के खिलाफ अपील ही नहीं करना चाहते हैं। इससे उन्हें बचाने के जद्दोजहद में लगे भारत की चुनौतियां बढ़ गई हैं। इससे पहले पाक को इस केस में इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के हाथों शर्मनाक शिकस्त झेलनी पड़ी थी। पिछले साल आईसीजे ने Pakistan को फांसी की सजा पर रोक लगाने और फैसले के पुनर्विचार का आदेश दिया था।


रिव्यू पिटिशन के लिए सिर्फ 4 दिन बाकी
सजा के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल करने के लिए के लिए जाधव के सामने 20 जुलाई तक का वक्त है। लेकिन Pakistan का दावा है कि वह फैसले की समीक्षा ही नहीं चाहते और दया याचिका दायर करना चाहते हैं। भारत ने Pakistan के दावे को खारिज करते हुए जाधव तक बिना शर्त राजनयिक पहुंच की मांग की है।


पाकिस्तान ने राजनयिक पहुंच देने का किया दिखावा
इस बीच पाकिस्तान ने एक और पैंतरेबाजी करते हुए भारत को जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराने की पेशकश की है। लेकिन इससे पहले उसने जिन शर्तों के साथ कॉन्सुलर ऐक्सेस दिया था, उन्हें भारत कतई स्वीकार नहीं करना चाहता।


भारत की मांग बिना शर्त कॉन्सुलर ऐक्सेस मिले

पाकिस्तान की ‘पेशकश’ पर भारत ने दो टूक कह दिया है कि अगर Pakistan इस मामले में आइसीजे के फैसले का सही अर्थों में पालन चाहता है तो बिना किसी शर्त के जाधव तक राजनयिक पहुंच मुहैया कराए। उस दौरान बिना रोक-टोक के लिए भारतीय राजनयिकों को जाधव से बात करने दिया जाए ताकि वह बिना किसी दबाव के खुलकर अपनी बात कह सकें।


जाधव के दोस्त भी नहीं चाहते हैं पिछली बार जैसा ‘दर्द’

जाधव के बचपन के दोस्त अरविंद सिंह भी चाहते हैं कि Pakistan ने पिछली बार कॉन्सुलर ऐक्सेस के नाम पर जो कुछ किया, वह इस बार भी न दोहराया जाए। उन्होंने कहा, ‘पिछली बार उन्होंने जाधव के माता-पिता, पत्नी और पूरे भारत का अपमान किया था। इसलिए हम चाहते हैं कि कॉन्सुलर ऐक्सेस बिना शर्त होना चाहिए।’


क्या चाहता है भारत

भारत ने Pakistan से मांग की है कि जाधव से राजनयिकों की मुलाकात के दौरान उसका कोई भी अधिकारी वहां मौजूद न रहे। इसके अलावा कमरे में ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग की कोई भी सुविधा न रहे ताकि जाधव बिना किसी डर के अपनी बात कह सकें।


पाक नहीं चाहता कि जाधव से एक से ज्यादा अधिकारी मिलें

बताया जा रहा है कि भारत ने Pakistan से कहा है कि वह मुलाकात के समय सिर्फ अंग्रेजी में बातचीत किए जाने पर जोर न दे। इसके अलावा सरकार चाहती है कि Pakistan उसके 2 अधिकारियों को जाधव से मिलने की इजाजत दे। हालांकि, पाकिस्तान ने सिर्फ एक अधिकारी को मिलने देने की पेशकश की है और वह जाधव से अकेले में बातचीत की अनुमति देने से लगातार इनकार कर रहा है।


पाकिस्तान की चालबाजी

भारत सरकार का मानना है कि शर्तों के साथ राजनयिक पहुंच देने का कोई मतलब नहीं है। दरअसल पाकिस्तान राजनयिक पहुंच देने का सिर्फ दिखावा कर रहा है ताकि दुनिया को लगे कि वह आईसीजे के फैसले का पालन कर रहा है। पिछले हफ्ते पाक ने दावा किया कि जाधव रिव्यू पिटिशन दाखिल करने के बजाय दया याचिका डालना चाहते हैं। इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि जाधव पर दबाव डालकर ऐसा करने के लिए मजबूर किया है। इसके बाद इस्लामाबाद ने कहा कि चाहे तो जाधव की तरफ से ‘कानूनी रूप से कोई वैध प्रतिनिधि’ या फिर भारतीय उच्चायोग का कोई अधिकारी रिव्यू पिटिशन दाखिल कर सकता है।


रिव्यू का रास्ता बंद करने के लिए पाक का खेल

जाधव रिव्यू पिटिशन न दाखिल कर सकें, इसके लिए Pakistan ने काफी सोच-समझकर खेल किया। 20 मई को उसने एक अध्यादेश जारी किया कि इस मामले में 60 दिनों के बाद कोई रिव्यू पिटिशन नहीं दाखिल किया जा सकेगा। इस तरह उसने रिव्यू पिटिशन के लिए 20 जुलाई की डेडलाइन सेट कर दी। भारत ने इसे आईसीजे के फैसले के खिलाफ बताया था।


भारत के सामने चुनौतियां

रिव्यू पिटिशन के लिए सिर्फ 4 दिन बाकी है लिहाजा भारत की चुनौतियां बढ़ गई हैं। सरकार का मानना है कि सही अर्थों में राजनयिक पहुंच के अभाव में अगर रिव्यू के लिए जाया जाता है तो यह पाकिस्तान के हाथों में ही खेलने की तरह है। भारत अब इस्लामाबाद पर दबाव बना रहा है कि वह राजनयिकों को जाधव से अकेले में मिलने की इजाजत दे। चूंकि डेडलाइन करीब है, इसलिए नई दिल्ली इसके लिए फिर से आईसीजे में जाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है।


जाधव को 2017 में सुनाई गई थी सजा

इंडियन नेवी के रिटायर्ड अधिकारी Kulbhushan Jadhav को पाकिस्तान ने अगवा कर उनसे झूठे कबूलनामे करवाए। उन्हीं झूठे कबूलनामों के आधार पर ‘जासूसी और आतंकवाद’ के जुर्म में वहां की एक सैन्य अदालत ने अप्रैल 2017 में जाधव को फांसी की सजा सुनाई। इसके खिलाफ भारत ने आईसीजे का रुख किया। इंटरनैशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी। पिछले साल आईसीजे ने Pakistan को वियना कन्वेंशन के उल्लंघन का दोषी ठहराते हुए उसे भारत को जाधव तक राजनीतिक पहुंच मुहैया कराने का आदेश दिया था।


जाधव को ईरान से किया गया था अगवा

Pakistan के दावे के मुताबिक जाधव को मार्च 2016 में बलूचिस्तान प्रांत में उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह जासूसी गतिविधियों को अंजाम देते हुए पकड़े गए थे। भारत का कहना है कि जाधव को ईरान से अगवा किया गया था जहां वह नेवी से रिटायर होने के बाद किसी कारोबारी काम से गए थे।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1