उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने चुनाव चिन्ह दे दिया है. EC ने ओपी राजभर की पार्टी को ‘छड़ी’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया है. राजभर ने ट्वीट के जरिए इस बारे में जानकारी दी. अभी हालही में यूपी के बाहुबली विधायक राजा भईया की पार्टी को भी चुनाव आयोग ने ‘आरी’ चुनाव चिन्ह दिया था.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने गुरुवार को ट्वीट कर जानकारी देते हुए बताया कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव चिन्ह ‘छड़ी’ आवंटित हुआ है. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिना छड़ी के ही दूसरी पार्टियों को जमकर छेड़ने वाले ओपी राजभर हाथ में छड़ी आने के बाद क्या कमाल ढाएंगे.
ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के फत्तेहपुर खौदा पोस्ट कटौना के रहने वाले हैं. छात्र जीवन में राजभर टेम्पो चलाकर अपना खर्च निकालते थे. कुछ समय बाद जब ओपी राजभर के पास कुछ पैसे हो गए तो उन्होंने एक जीप खरीदी. जीप चलाने के दौरान उनकी नेताओं से अच्छी जान-पहचान हो गई. इसके बाद वे राजनीति की तरफ रूख कर लिए. राजनीति में कदम रखते ही ओमप्रकाश राजभर ने पिछड़े वर्ग के लोगों के हक के लिए लड़ाई शुरू कर दी.
ओपी राजभर ने चार दशक पहले 1981 में बसपा संस्थापक कांशीराम से प्रभावित होकर1981 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा. मायावती ने अपने दूसरे शासनकाल के दौरान चार दिसंबर 1997 को जौनपुर जिले से भदोही को अलग कर उसे नया जिला संत रविदास नगर बनाया, जिसका विरोध राजभर ने किया. इसके बाद उनको 2001 में बसपा छोड़नी पड़ी थी. इसके बाद राजभर ने 27 अक्टूबर 2002 को तत्कालीन भासपा का गठन किया. 2004 से उनकी पार्टी भासपा ने चुनाव लड़ना शुरू किया.
उस समय राजभर को कोई खास सफलता नहीं मिली. समय परिवर्तन के साथ उनकी पार्टी का नाम सुभासपा हो गया. इस पार्टी को भी उन्होंने सियासी जमीन पर उतारा, पर ज्यादातर मौकों पर जीतने से ज्यादा खेल बिगाड़ने वाले बने रहे. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन कर राजभर ने सत्ता का सुख पा लिया. उनकी पार्टी के चार विधायकों ने जीत हासिल की. बीजेपी सरकार में ओपी राजभर मंत्री भी बने.