न्यूक्लियर हथियारों की होड़ किसके पास ज्यादा वॉरहेड, भारत-पाकिस्तान में कौन सबसे ज्यादा ताकतवर?

स्वीडिश हथियारों की निगरानी करने वाली संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, जनवरी 2022 में, भारत ने अपने परमाणु हथियारों के भंडार को 156 से बढ़ाकर 160 कर दिया है.

फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार अनुमान है कि आज दुनिया में लगभग 12,700 परमाणु हथियार हैं. इसमें अनुमानित 5,977 हथियार के साथ रूस परमाणु महाशक्ति देशों की सूची में सबसे ऊपर है. एफएएस के अनुसार भले ही शीत युद्ध के बाद से परमाणु हथियारों के शस्त्रागार में कमी देखी गई हो, लेकिन पहले की तुलना में दुनिया की परमाणु हथियारों वालों देशों की लिस्ट अभी भी अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 की शुरुआत तक दुनिया भर के नौ देशों के पास लगभग 12,700 वॉरहेड थे.

वहीं स्वीडिश हथियारों की निगरानी करने वाली संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, जनवरी 2022 में, भारत ने अपने परमाणु हथियारों के भंडार को 156 से बढ़ाकर 160 कर दिया है. यह ऐसे समय में हुआ जब चीन ने नए लांचरों को सक्रिय किया और पाकिस्तान ने विकास करना जारी रखा. ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे हैं. ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान अपने परमाणु शस्त्रागार का विस्तार कर रहे हैं.

परमाणु हथियार सबसे विनाशकारी
एक परमाणु वॉरहेड या परमाणु हथियार को सबसे विनाशकारी माना जाता है. इस विनाशकारी ताकत को हासिल करने के लिए परमाणु हथियार मुख्य रूप से तीन अलग-अलग प्रकार की परमाणु प्रतिक्रियाओं- विखंडन, संलयन, या दोनों के संयोजन पर आधारित फेज से गुजरते हैं. सभी परमाणु हथियार तकनीकी रूप से थर्मोन्यूक्लियर हैं. इसलिए इन्हें थर्मोन्यूक्लियर बम, फ्यूजन हथियार, हाइड्रोजन बम या एच-बम भी कहा जा सकता है.

परमाणु हथियारों का एक संक्षिप्त इतिहास
आज तक, दुनिया ने दो उदाहरणों में परमाणु हथियारों की भारी विनाशकारी शक्ति देखी है. दोनों द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में थे, जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने 6 अगस्त, 1945 को हिरोशिमा, जापान पर ‘लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम गिराया और 9 अगस्त, 1945 को जापान के नागासाकी पर फैट मैन नामक दूसरा बम गिराया. लिटिल बॉय ने लगभग 15 किलोटन के विस्फोटक बल के साथ विस्फोट किया, जिसने 1 मील के दायरे में अधिकांश इमारतों को समतल कर दिया. आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, हिरोशिमा की बमबारी में 66,000 मौतें और 69,000 घायल हुए हैं, जबकि नागासाकी बमबारी में 39,000 मौतें और 25,000 घायल हुए हैं.

अमेरिका और रुस के बीच हथियारों की दौड़
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी की बमबारी ट्रिगर बिंदु थी, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हथियारों की दौड़ को बढ़ा दिया था. इस युद्ध ने परमाणु को लड़ाई के अंतिम हथियार के रुप में स्थापित कर दिया. परमाणु हथियारों का भंडारण 1980 के दशक के अंत तक भी जारी रहा.

परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत हिस्सा
वहीं मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1986 में दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों की दौड़ अपने चरम पर थी. उस दौरान, सोवियत संघ के पास 40,000 से अधिक परमाणु हथियार थे, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास 23,000 थे. अधिकतम संख्या में परमाणु रखने के क्षेत्र में रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रमुखता अभी भी प्रासंगिक है क्योंकि इसके पास दुनिया भर के सभी परमाणु हथियारों का 90 प्रतिशत हिस्सा है.

परमाणु ऊर्जा के खेल में कौन-कहां खड़ा?
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) के अनुसार, अनुमान है कि आज दुनिया में लगभग 12,700 परमाणु हथियार हैं. यह सच है कि आज हम जो संख्या देख रहे हैं वह अमेरिका या रूस के पास उनके शीत युद्ध के शिखर के दौरान की तुलना में बहुत कम हैं. लेकिन साथ ही हमें उन देशों की संख्या में वृद्धि पर भी विचार करने की आवश्यकता है जो 30-40 साल पहले परमाणु शक्ति नहीं थे.

परमाणु हथियारों वाले देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर रूस
एफएएस के अनुसार, रूस परमाणु हथियारों वाले देशों की सूची में सबसे ऊपर है. अनुमान है कि इसके पास 5,977 हथियार हैं. इसमें से 1,458 सक्रिय रूप से तैनात हैं (वर्तमान START II संधि अमेरिका और रूस दोनों को कुल 1550 तैनात करने के लिए सीमित करती है), 3039 निष्क्रिय हैं लेकिन सक्रिय होने के लिए उपलब्ध हैं, और 1,760 रिटायर्ड हैं और निराकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं. वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका की संख्या भी इसके करीब ही है. इसके पास 5,550 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से 1,389 सक्रिय हैं, 2,361 निष्क्रिय लेकिन उपलब्ध हैं, और 1,800 नष्ट होने वाले हैं.

हथियारों की संख्या फिर से बढ़ रही
लेकिन, हाल के आंकड़े इस तथ्य को भी बताते हैं कि वैश्विक सैन्य भंडारों में हथियारों की संख्या एक बार फिर से बढ़ रही है. इसमें फ़्रांस और इज़राइल इन्वेंट्री बनाए रख रहे हैं. यह भी अनुमान लगाया गया है कि चीन, भारत, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान और यूनाइटेड किंगडम, साथ ही संभवतः रूस, सभी अगले कुछ वर्षों में अपने भंडार बढ़ा रहे हैं.

चीन के पास साल 2035 तक 1,500 वॉरहेड
वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के पास साल 2035 तक 1,500 वॉरहेड होने की उम्मीद है. चीन के महत्वाकांक्षी सैन्य निर्माण पर कांग्रेस को अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, पेंटागन ने मंगलवार को कहा था कि अगले दशक में, बीजिंग का लक्ष्य अपने परमाणु बलों का आधुनिकीकरण, विविधता और विस्तार करना है. चीन का वर्तमान परमाणु आधुनिकीकरण अभ्यास पिछले प्रयासों से अधिक है. रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन भी फास्ट ब्रीडर रिएक्टरों का निर्माण करके प्लूटोनियम के उत्पादन और अलग करने की क्षमता बढ़ाकर इस विस्तार का समर्थन कर रहा है. 2021 में, बीजिंग ने संभवतः अपने परमाणु विस्तार को तेज कर दिया है.

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