Japan Defence Policy: टॉमहॉक मिसाइल…चीन से जंग के लिए दुनियाभर के खतरनाक हथियारों का जखीरा जमा कर रहा जापान

टोक्‍यो: अब यह बात सबके सामने आ गई है जापान अपनी सेनाओं की ताकत बढ़ाएगा और साल 2028 तक रक्षा बजट पर दोगुना खर्च करता रहेगा। चीन की तरफ से बढ़ता सैन्‍य खतरा, उत्‍तर कोरिया की परमाणु हथियारों बढ़ाने की महत्‍वकांक्षा और रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से जापान ने तय किया है कि वह अपनी रक्षा के लिए कड़े कदम उठाएगा और साथ ही अपनी क्षमताओं में भी इजाफा करेगा। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा, ‘हम में से हर कोई इस बात से वाकिफ है कि हम अपने देश की सुरक्षा कर रहे हैं। यह बहुत ही जरूरी है क्‍योंकि हमनें यूक्रेन में देखा है कि क्‍या हुआ है। हम अब अपनी राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति को बदल रहे हैं।” जापान ने तय किया है कि युद्ध के खतरे के बीच ही अब वह अमेरिका से खतरनाक टॉमहॉक मिसाइलें खरीदेगा। फरवरी में जब यूक्रेन पर रूस ने हमला किया तो वहीं से जापान ने अपनी सुरक्षा नीति में बदलाव का फैसला कर लिया था। जो मिसाइलें जापान ने खरीदने का मन बनाया है, उसका तोड़ अभी तक चीन के पास नहीं है।

खतरनाक टॉमहॉक मिसाइलें
जापान ने पांच साल के लिए अपना रक्षा बजट तय कर लिया है। इसके तहत 314 अरब डॉलर सेनाओं पर खर्च किए जाएंगे। अगले साल से यह खर्च शुरू हो जाएगा। क्‍योदो न्‍यूज एजेंसी के मुताबिक पीएम किशिदा चाहते हैं कि उनके देश के पास ऐसी क्षमता हो जिसके बाद दुश्‍मन की सीमा में घुसकर हमला किया जा सके। साल 2026 से पहले जापान इस क्षमता से लैस नहीं हो पाएगा। नए स्‍टॉक को बढ़ाने के लिए जापान ने अमेरिका से खतरनाक टॉकहॉक मिसाइलें खरीदने का मन बनाया है। इस मिसाइल की रेंज करीब 1600 किलोमीटर है।

वर्तमान समय में टॉमहॉक अमेरिका और यूके की सेनाओं की तरफ से तैनात है। इस मिसाइल को अमेरिकी नौसेना का ब्रह्मास्‍त्र कहा जाता है। साल 2018 में यह नौसेना का हिस्‍सा बनी थी। उस समय सीरिया में इसका प्रयोग किया गया था और 66 मिसाइलों ने सीरिया की रासायनिक हथियारों वाली फैक्‍ट्री को तबाह कर दिया था।

कैसे बनाती है निशाना
लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइल एक लॉन्‍ग रेंज वाला हथियार है और करीब 20 फीट लंबी है। यह मिसाइल 885 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से हमला कर सकती है। इस मिसाइल को टॉरपीडो से किसी पनडुब्‍बी को निशाना बनाने के लिए लॉन्‍च किया जा सकता है। यह मिसाइल टर्बोफैन इंजन से ऑपरेट होती है और इस वजह से ज्‍यादा गर्मी नहीं पैदा करती है। इसकी वजह से ही इंफ्रारेड पर इसका पता लगा पाना मुश्किल हो जाता है।

इस मिसाइल में क्रॉस सेक्‍शन बहुत छोटा है और यह बहुत ही निचले स्‍तर पर ऑपरेट होती है। इस वजह से ही रडार भी इसका पता नहीं लगा सकती है। टॉमहॉक इंटीरियल और टीरेन कोनटूर मैचिंग (TERCOM) रडार गाइडेंस का प्रयोग करती है। इसके तहत मिसाइल में एक मानचित्र पहले ही स्‍टोर होता है। मिसाइल का कंप्‍यूटर इसी सेव तस्‍वीर से टाइगेट को पहचानता है।

हर मौसम में कारगर
यह मिसाइल बारिश, ठंड और गर्मी हर मौसम में काम कर सकती है। अमेरिका ने सबसे पहले इस सत्‍तर के दशक में ईजाद किया था। लेकिन इस पर अब तक कई डॉलर खर्च किए जा चुके है और इसे कहीं ज्‍यादा एडवांस्‍ड बना दिया गया है। मिसाइल का वजन करीब डेढ़ टन है और यह अपने साथ 453 किलोग्राम तक के हथियार ले जा सकती है। जीपीएस टेक्‍नोलॉजी से चलने वाली टॉमहॉक मिसाइल को अमेरिकी कंपनी रेथियॉन बनाती है। इसे दुनिया की सबसे मॉर्डन क्रूज मिसाइल का तमगा हासिल है। इसे दो हजार से ज्‍यादा बार यूज किया जा चुका है। साल 2011 में नाटो की सेनाओं ने इसी मिसाइस से लीबिया पर हमला किया था।

और क्‍या-क्‍या खरीदेगा जापान
टॉमहॉक मिसाइलों के अलावा जापान एडवांस्‍ड फाइटर जेट्स, हाइपरसोनिक मिसाइलें और हथियारबंद ड्रोन भी खरीदना चाहता है। देश क मीडिया की मानें तो सरकार के पास खरीद का सारा प्‍लान तैयार है। वहीं जापान के कुछ राजनेता इस बात पर भी बहस कर रहे हैं कि इतनी बड़े पैमाने पर रक्षा खरीद के लिए फंड कहां से आए। कहा जा रहा है कि जापान ये तमाम हथियार अमेरिका से खरीदेगा जो उसका सबसे करीबी साथी है।

चीन सबसे बड़ी चुनौती
जो डॉक्‍यूमेंट जापान ने शुक्रवार को रिलीज किया है उसमें चीन को सीधे तौर पर खतरा करार नहीं दिया गया है लेकिन यह कहा गया है कि चीन की स्थिति और उसकी सैन्‍य गतिविधियां गंभीर मसला है। ऐसे में बड़े स्‍तर पर रणनीतिक चुनौती पेश की जा रही है। जापान और अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय को यह तय करना होगा कि शांति कायम रहे। जापान के अधिकारियों की मानें तो उनका मकसद अभी भी एक ऐसे जापान का निर्माण करना है जिसके रिश्‍ते बातचीत के जरिए चीन के साथ बेहतर किए जा सकें।

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