आज राष्ट्रीय तकनीक दिवस है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि 1998 में पोखरण में किया गया परमाणु परीक्षण एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। आज जब देश में कोरोनावायरस का संकट है, तब भी वैज्ञानिक तकनीक की मदद से महामारी को हराने में जुटे हैं। 11 मई 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में पोखरण में भारत ने परमाणु परीक्षण किया था।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘आज राष्ट्रीय तकनीक दिवस के मौके पर पूरा देश उन लोगों को सैल्यूट करता है जो तकनीक के दम पर हमारी जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लेकर आए। हमें 1998 की पोखरण की वो उपलब्धि याद है। वह भारत के इतिहास का यादगार पल था। उस परीक्षण ने दिखाया कि मजबूत राजनीतिक नेतृत्व एक बड़ा अंतर ला सकता है।’’11 मई का दिन भारत (India) के लिए वैश्विक स्तर पर बेहद खास है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस यानी ‘नेशनल टैक्नोलॉजी डे’ 11 मई के दिन मनाया जाता है. आज ही के दिन देश में टेक्नोलॉजी क्रांति आई थी। आज का दिन को 1998 के ‘पोखरण परमाणु टेस्ट’ और अंतरिक्ष में भारत की बड़ी प्रगति के रूप में इतिहास में दर्ज है। आज ही के दिन भारतीय सेना के पोखरण परीक्षण रेंज में भारत द्वारा किए गए पांच परमाणु बम विस्फोटों की सीरीज में पहला कदम था। यह पोखरण में पांच परमाणु परीक्षणों में से पहला था. भारत ने आज ही के दिन ऑपरेशन शक्ति मिसाइल को सफलतापूर्वक फायर किया था।
भारत ने परमाणु मिसाइल का परीक्षण करते हुए दुनियाभर में न्यूक्लियर खेल को पूरी तरह से बदल दिया। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बदौलत भारत ने पश्चिमी शक्तियों के कभी न खत्म होने वाले प्रभुत्व को चुनौती दी।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी को दिया था चकमा
भारत ने परमाणु टेस्ट खुफिया तरीके से किया था. 1995 में भारत के प्रयास का अमेरीकी जासूसों ने पता लगा लिया था और दबाव में भारत को अपना परीक्षण टालना पड़ा था. इस बार भारत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था। परीक्षण स्थल का कलाम और उनकी टीम ने कई बार दौरा किया। वो कई माह तक इस क्षेत्र में सैन्य अधिकारी के रूप में घूमते रहे लेकिन किसी को भनक तक नहीं पड़ी और फिर सफल परमाणु परीक्षण हुआ।
11 मई 1998 की सुबह थार के रेगिस्तान में पोखरण के खेतोलाई गांव के पास भारत ने अपना परमाणु परीक्षण किया था। व्हाइट हाउस नाम से बनाये शाफ्ट में धमाका हुआ. भारत ने 58 किलो टन क्षमता के परमाणु बम का परीक्षण करके सभी को चौंका दिया था। यह अमेरिका की ओर से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम लिटिल बॉय से चार गुना अधिक शक्तिशाली था। दुनिया भौचक्की रह गई कि भारत ने यह कारनामा कैसे किया लेकिन भारत अपना काम चुका था। परमाणु परीक्षणों के अलावा भारत ने राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं, बेंगलुरु द्वारा विकसित अपने पहले स्वदेशी विमान- हंसा 3 का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
इसके अलावा भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारत की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल त्रिशूल का सफल परीक्षण करके इस दिन की उपलब्धि में चार चांद लगा दिए। यह सेना और नौसेना द्वारा शामिल किया गया और भारत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का एक हिस्सा बन गया।