जनता दल यूनाइटेड यानी जेडीयू (JDU) ने उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके साथ ही नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी ने यह भी ऐलान किया है कि आने वाले समय में वह प्रदेश में कोटे के भीतर कोटे के आरक्षण का मुद्दा उठाने जा रही ह। इसके साथ ही यह भी फैसला किया गया है कि JDU अब PM मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी (Varanasi) में कार्यकर्ता सम्मेलन करेगी। जाहिर है JDU के इस रुख के बाद ये सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि आखिर JDU के अचानक उत्तर प्रदेश के सियासी मैदान में उतरने के पीछे सियासी प्लान क्या है? क्या यूपी की योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का खेल खराब करने के इरादे से JDU यूपी में उतरने जा रही है।
इस मसले पर JDU के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि JDU हमेशा से ही समाजवादी विचारधारा के साथ चलती है। किसानों, मजदूरों, पिछड़ों, महिलाओं और मजदूरों के सवालों को लेकर JDU हमेशा संघर्षरत रही है। यह तब भी था जब हम लोकदल में थे, ऐसा ही तब भी था जब हम जनता दल बने थे और ऐसा अब भी है जब हम JDU हैं। केसी त्यागी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह, वी पी सिंह और कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं के साथ हम पहले आगे बढ़ते रहे और वर्तमान में नीतीश कुमार इसकी अगुवाई कर रहे हैं।
बता दें कि वाराणसी, गोरखपुर सहित पूरे पूर्वांचल में CM नीतीश कुमार की जाति कुर्मी का बड़ा वोट बैंक है। माना जा रहा है कि इस जाति का वोट हाल के दिनों में BJP को मिलता रहा है। खास तौर पर तब जब नीतीश कुमार NDA का हिस्सा रहे हैं। हालांकि हाल के दिनों में JDU और BJP के रिश्तों में वो गर्माहट नहीं दिख रही है जो पहले के दिनों में थे। दरअसल इसकी वजह बिहार में JDU को BJP के मुकाबले कम विधानसभा सीटें आना है। अप्रत्यक्ष रूप से JDU इसके लिए BJP को ही जिम्मेदार मानती है, हालांकि कहीं भी बातों से स्पष्ट नहीं होती है।