आखिर क्यों देश में ड्राइवरलेस कार नहीं आने देना चाहते गडकरी ?

दुनिया के कई देशों में ड्राइवरलेस कारों का परीक्षण किया जा रहा है। गूगल समेत कई बड़ी कंपनियां इस पर काम कर रही हैं कि कैसे ड्राइवरलेस कारें सड़कों पर उतारी जाएं। माना जा रहा है कि ऐसा करने से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता से सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सकेगा। वहीं, देश के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने साफ कहा है कि भारत में चालक रहित कारों को अनुमति नहीं दी जाएगी।

नितिन गडकरी ने कहा कि ऐसा करने से लाखों की संख्या में लोगों का रोजगार छिन जाएगा। गडकरी ने कहा कि देश की कई बड़ी हस्तियां मुझसे मिली हैं और उनका कहना है कि वे देश में चालक रहित वाहन लाना चाहते हैं। मैंने साफ कर दिया है कि जब तक मैं हूं, इस देश में ऐसी गाड़ियों को अनुमति नहीं मिलेगी। गडकरी बोले, ‘मुझसे कहा गया कि क्या मैं नई तकनीक का विरोध कर रहा हूं, मैंने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है।’

गडकरी ने यहां खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा चमड़े की टूल किट के वितरण समारोह में कहा कि देश में 40 लाख ड्राइवर हैं, 25 लाख ड्राइवरों की कमी है। मैं एक करोड़ लोगों का रोजगार नहीं छीन सकता हूं। इसके पहले, नितिन गडकरी ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक वाहन खुद-ब-खुद रफ्तार पकड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो साल में सभी बसें बिजलीचालित हो जाएंगी। नितिन गडकरी के इस बयान से ऑटो सेक्टर को कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

दरअसल, निति आयोग ने प्रस्ताव दिया था कि साल 2030 के बाद देश में केवल इलेक्ट्रिक वाहन ही बेचे जाएं। इसमें कहा गया था कि साल 2025 से 150 सीसी इंजन क्षमता तक केवल इलेक्ट्रॉनिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री की जाए। इस प्रस्ताव के बाद ऑटो सेक्टर में एक तरह की बेचैनी देखने को मिली थी।

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