निर्वासित सरकार के गठन पर एकसुर हुए बलूच नेता

नई दिल्ली/पटना : राष्‍ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच (फैन्स) के राष्ट्रीय संरक्षक व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल सदस्य श्री इंद्रेश कुमार ने बलूच नागरिकों पर जुल्म के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराते हुए सभी बलोच नेताओं व संगठनों से एकजुट होकर बलूचिस्तान मुक्ति आंदोलन को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। 

फैन्स की ओर से बलूचिस्तान मुक्ति आंदोलन :  संभावनाएं और चुनौतियां (बलूचिस्तान लिबरेशन मूवमेंट) विषय को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। इस वेबिनार को संबोधित करते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि  बलूचिस्तान के लोग काफी अर्से से संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया भर में अपने आवाम पर पाकिस्तान के जुल्मो सितम की कहानी बयां कर आंदोलन चला रहे हैं, भारत की ओर से भी दुनिया का ध्यान समय समय पर इस ओर खींचा जाता रहा है। पाकिस्तान का गठन देश के बंटवारे के बाद हुआ, जिसका बाद में 1971 में बंटवारा हो गया। आज पाकिस्तान पांच-छह टुकड़ों में बंटने व टूटने की कगार पर है। बलूचिस्तान, पश्तूनिस्तान, सिंध इससे अलग होना चाहते हैं। आने वाले समय में पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति में जरूर बदलाव होगा।इंद्रेश कुमार ने कहा कि विभाजन के समय ही बलूचिस्तान ने अंग्रेजों से कह दिया था कि हम पाकिस्तान में सम्मिलित नहीं होंगे। लेकिन मोहम्मद अली जिन्ना और अंग्रेजों ने कूटनीति से सैनिक आक्रमण करके इस पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया और साल 1948 से बलूचिस्तान स्वतंत्र बलूचिस्तान का आंदोलन कर रहा है। पाकिस्तान बलूचिस्तान के लोगों पर अत्याचार कर रहा है। इस करतूत में चीन भी उसका साथ दे रहा है। पाकिस्तान अभी तक बलूचिस्तान में लाखों लोगों की हत्या कर चुका है। हजारों लोगों को अगवा किया और उन पर बेइंतहा जुल्म कर रहा है। पाकिस्तान की सेना ने टेंकरों और तोंपो से लाखों बलूच नागरिकेां के कत्ल किए और लाखों बलूच लोगों को उजाड़ भी दिए। बहुत से बलूच भारत तथा दुनिया के अन्य देशों में रहते हैं जो लड़ रहे हैं और स्वतंत्र बलूचिस्तान चाहते हैं। बलूच और पश्तून नेता पाकिस्तान में सम्मिलित नहीं होना चाहते थे। उन्होंने हिंदुस्तान में शामिल होने या स्वतंत्र ईकाई के तौर पर बने रहने के लिए आवाज उठाई थी। विभाजन के समय बलूच लोगों ने स्पष्ट रूप से अपना मत बता दिया था, लेकिन उनकी सुनी नहीं गई। उसी समय से बलूचिस्तान के लोगों ने अपनी अस्मिता के लिए आवाज उठानी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि बलूचिस्तान लिबरेशन मूवमेंट के सभी नेता एकजुट होकर अपनी मुहिम को आगे बढ़ाएं और उनकी इस मुहिम में सभी भारतवासी उनके साथ हैं। एक दिन सभी बलूच लोग अपने इस आंदोलन को सफल होते अवश्य देखेंगे। 

इंद्रेश कुमार ने कहा कि सभी बलूच नेता व मुक्ति आंदोलन से जुड़े संगठन आपस में हाथ मिलाएं, जैसे तिब्बत के नेताओं ने चीन की बर्बरता व प्रताड़ना से तंग आकर आपस में एकजुट हुए और सफलतापूर्वक निर्वासित सरकार का गठन किया। उन्होंने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए तीन महत्वपूर्ण सुझाव दिए। पहला- सभी बलूच नेता आपस में निर्णय करके एक सर्वमान्य नेता का चयन और किस देश में शरण लेना है यह तय करें। दूसरा- बलूच नेतृत्व को अपनी मान्यता के लिए दुनिया के देशों से वार्ता करनी चाहिए। तीसरा- एक झंडा, एक नारा, एक विधान और एक काॅमन प्रोग्राम तय करें। उन्होंने बलूच नेताओं से कहा कि किसी कदम को उठाने से पहले विचार करें और फिर मंजिल तय करें। ठोस तरीके से निर्णय लेकर ही मुक्ति आंदोलन को कम समय में सफल बनाया जा सकेगा। पहले अपने रोडमैप का काॅमन एजेंडा तय करें ताकि सभी बलूच नेता एकजुट रह सकें और दुनिया भर में मुहिम को आगे बढ़ा सकें। जिस तरह बलूच लोग अपने मुक्ति के लिए संघर्ष, बलिदान करते आए हैं, उसे एकजुट रहकर ही सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया जा सकता है। 

वहीं, राष्‍ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्‍ट्रीय संगठन महामंत्री गोलक बिहारी राय जी ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बलूचिस्तान लिबरेशन मूवमेंट को लेकर एक सम्मिलित आवाज उठनी चाहिए। आज का बलूचिस्तान विशाल भारत का हिस्सा रहा है। पूरा बलूचिस्तान वैदिक संस्कृति से जुड़ा है। बलूच लोगों से मराठी लोगों का अटूट संबंध रहा है। विभाजन के बाद से ही बलूच लोगों का संघर्ष अनवरत जारी है। इसके बावजूद बलूच लोग अपनी अस्मिता बनाए हुए हैं और आंदोलनरत हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान कई सालों से बलूचिस्तान में काफी जुल्म कर रहा है। पाक सेना डिटेंशन कैंपों में बलूच लोगों को घोर यातनाएं देती है, यह किसी से छिपा नहीं है। बलूचिस्तान की आजादी की आवाज उठाने वालों को प्रताड़ित किया जाता है। पाकिस्तान की मंशा बलूच अस्मिता को समाप्त करने की रही है। जबकि बलूच नागरिक धार्मिक कट्टरता से काफी दूर रही है। ये अपनी अस्मिता की लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व के बलूच नेताओं की शहादत बेकार नहीं जाएगी। अकबर खान बुगती जैसे नेता की शहादत इस आंदोलन को और बल देगी। उन्होंने कहा कि सभी बलोच नेताओं, कार्यकर्ताओं को वन लीडर, वन प्रोग्राम तय करना चाहिए ताकि यह आंदोलन सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचे।  

इसके उपरांत, प्रोफेसर नाएला कादरी बलोच (प्रेसीडेंट बलोच पीपुल्स कांग्रेस, कनाडा) ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि बीते कई दशकों से पाकिस्तान की सरकार और मजबही कट्टरपंथियों ने बलूचिस्तान में बलूच लोगों पर जमकर अत्याचार किए हैं। इसके बावजूद हमने कभी पाकिस्तान या ईरान की गुलामी स्वीकार नहीं की है। पाकिस्तान की ओर से बलूच लोगों पर निरंतर दमन, अत्याचार जारी है। पाकिस्तान में बलोच, पश्तून, बाल्टिस्तान कोई खुश नहीं है। सभी इनसे आजादी चाहते हैं। हिंदुस्तान भी पाक आतंकवाद के जहर का सामना कर रहा है। इसके खिलाफ आज एक संयुक्त रणनीति, एकजुटता पर काम करने की जरूरत है। हमारी कोशिश अब एक निर्वासित सरकार बनाने की है, जिससे बलूच लोगों की आवाज को मजबूती मिलेगी और लिबरेशन आंदोलन अंजाम तक पहुंचेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बलूच लोगों की आवाज को भारत से बल मिला है और ये सहयोग आगे भी मिलता रहेगा। नाएला कादरी बलोच ने कहा कि बलूच के तीन दुश्मन हैं पाकिस्तान, ईरान और चीन। ये सभी हमारे खिलाफ साजिशें कर रहे हैं। इसके बावजूद हम अपने आंदोलन को मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज बलूचिस्तान में हर दिन कत्ल हो रहे हैं। जो बलूचों की आवाज बन सकते हैं, उनको सरेआम मारा जा रहा है। बलूच लोग अपनी धरती, अपनी अस्मिता को बचाने के लिए लगातार कुर्बानियां दिए जा रहे हैं। पाकिस्तान की इस बर्बरता और जुल्म से मुक्ति के लिए बलूच निर्वासित सरकार की जरूरत है। हमने इसके लिए भारत समेत दुनिया के कई देशों से संपर्क किया है। हम एक कमिटी बनाकर सभी संगठनों से संपर्क करके निर्वासित सरकार की रुपरेखा तय करेंगे। हमारी कोशिश भारत में निर्वासित सरकार बनाने की है। उम्मीद है कि इसमें भारत का सहयोग मिलेगा। इससे हम संगठित होकर बलूच अस्मिता की लड़ाई लड़ सकेंगे।उन्होंने कहा कि निर्वासित सरकार शांतिपूर्वक काम करेगी और आजाद बलूचिस्तान को कायम करेंगे। उन्होंने भारत से बलूच की आवाम को समर्थन देने और निर्वासित सरकार को सहयोग करने की अपील की। भारत उनकी आवाज को संयुक्त राष्ट्र में बल दे ताकि बलूच लोगों पर पाकिस्तान की बर्बरता से मुक्ति मिल सके।    

वहीं, हकीम बलोच (बलोच नेशनल मूवमेंट, यूके) ने कहा कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर काफी बर्बरता, जुल्म किए हैं। 90 के दशक से बलूचिस्तान लिबरेशन मूवमेंट ने जोर पकड़ा। इस आंदोलन के पीछे का मकसद पाकिस्तान के कब्जे व जुल्म से मुक्ति की रही है। यदि बलूच आंदोलन को दुनिया भर से समर्थन मिला होता तो आज स्थितियां कुछ और होती। बलूच युवाओं ने काफी संघर्ष करके पाकिस्तान के खिलाफ आवाज को बुलंद किया है। बता दें कि पाकिस्तान ने इस मूवमेंट पर रोक लगा रखी है, लेकिन युवा फिर भी अपनी आवाज को जोरदार तरीके से उठाते हुए संघर्षरत हैं। इस आंदोलन को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा मुखर होने की जरूरत है तकि पाकिस्तान की बर्बरता, अत्याचार, क्रूरता को उजागर किया जा सके। यह मूवमेंट एक आजाद बलूचिस्तान के लिए संघर्ष कर रही है, इसे भारत समेत अन्य समर्थक देशों से सहयोग की जरूरत है।  

फहीम बलोच (बलोच मानवाधिकार कार्यकर्ता, यूके) ने वेबिनार को संबोधित करते हुए बलोच आवाम के मानवाधिकारों की संरक्षा पर जोरदार पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पहले ब्रिटिसर्श ने बलूचिस्तान को कई टुकड़ों में बांटा। उसके बाद पाकिस्तान ने बलूचों पर जुल्मो सितम शुरू कर दिए। पाकिस्तान की सेना आए दिन बलूच लोगों को अगवा करते हुए उन्हें मौत के घाट उतार देती है। बर्बरता इतनी है कि हजारों बलूच लोगों के घर नष्ट कर दिए गए, उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की धज्जियां उड़ा दी है। पाकिस्तान और पाक सेना की नजर में हर बलूच नागरिक दोषी है। पाकिस्तान ने ऐसे हालात कर दिए हैं कि बलूचिस्तान में अशिक्षा का बोलबाला है। वहां के लोगों को समुचित शिक्षा तक नहीं मिल पा रही है। पाक सेना ने वहां की शिक्षा व्यवस्था को तहस नहस करके रख दिया है। सीपीईसी काॅरिडोर के आसपास रह रहे लोगों को जबरन हटाया जा रहा है और उन्हें अगवा भी किया जा रहा है। इसमें अन्य देशों की साजिशें भी हैं। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में आए दिन अगवा होने वाले लोगों के मामले में दुनिया को दखल देना चाहिए। इस में मामले में पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा करके बेनकाब करना चाहिए। पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए ताकि लापता बलूच लोगों की सच्चाई सामने आ सके।

इस अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच बिहार के महासचिव कुमोद कुमार, सचिव अमित कुमार, रवि शांडिल्य, दीपक कुमार सहित बड़ी संख्या में बिहार के बुद्धिजीवी जुड़े हुए थे।

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