दक्षिण दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 को हुए Nirbhaya Case को 8 साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच Nirbhaya की मां ने कहा है- ‘मेरी बेटी के साथ हुए जघन्य अपराध को आज 8 साल हो चुके हैं। हमारा मामला स्पष्ट था और फिर भी न्याय पाने के लिए 8 साल लग गए। सरकार और अदालतों को यह सोचने की ज़रूरत है कि इसमें इतना समय क्यों लगा? और कानूनों में बदलाव करना चाहिए। उन्होंने कहा- ‘मेरी बेटी को न्याय दिलाया गया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं चुप बैठूंगीं। मैं सभी दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए लड़ता रहूंगी। सभी को मिलकर दुष्कर्म के खिलाफ आवाज उठाने की जरूरत है।’
वहीं, Nirbhaya के पिता का कहना है कि उनकी बेटी से दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषियों को फांसी तो मिल चुकी है, लेकिन देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखकर लगता है कि अब तक कुछ नहीं बदला है। Nirbhaya के पिता ने भी कहा है कि ऐसे अपराध के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। Nirbhaya मामले के बाद बनाए गए कानून के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मुझे लगा था कि इस मामले के बाद हमारे देश में बदलाव आएगा। लेकिन जब मैं खबरें देखता हूं तो हर रोज एक बेटी पर बर्बरतापूर्ण हमले का नया मामला सामने आता है।
दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात पैरामेडिकल छात्रा से चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। उससे इस कदर दरिंदगी हुई थी कि बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से चारों अभियुक्तों मुकेश, पवन गुप्ता, अक्षय सिंह और विनय कुमार शर्मा को मृत्युदंड दिया गया। आखिरकार चारों को 20 मार्च को तिहाड़ जेल संख्या 3 में फांसी पर चढ़ा दिया गया।