16 December Vijay Diwas

Vijay Diwas 2020:13 दिनों के युद्ध में ही टूट गया था पाकिस्तान और बांग्‍लादेश बना था आजाद देश

वर्ष 1971 में भारत व पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के 49 साल पूरे हो गए। 16 दिसंबर को 50वां साल शुरू हो जाएगा। 3 दिसंबर, 1971 को Pakistan ने लड़ाई की शुरुआत तो कर दी, लेकिन भारतीय सैनिकों के पराक्रम के आगे महज 13 दिनों में ही घुटने टेकने पड़े।

पूर्वी पाकिस्तान में सेना का दमन

पाकिस्तान का सैनिक तानाशाह याहिया खां अपने ही देश के पूर्वी भाग में रहने वाले लोगों का दमन कर रहा था। 25 मार्च, 1971 को उसने पूर्वी Pakistan की जनभावनाओं को कुचलने का आदेश दे दिया। इसके बाद आंदोलन के अगुआ शेख मुजीबुर्रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। लोग भारत में शरण लेने लगे। इसके बाद भारत सरकार पर हस्तक्षेप का दबाव बनने लगा।

जनरल मानिक शॉ का पक्का इरादा

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेनाध्यक्ष जनरल मानिक शॉ से बातचीत की। तब भारत के पास सिर्फ एक माउंटेन डिवीजन था और उसके पास भी पुल निर्माण की क्षमता नहीं थी। मानसून दस्तक देने वाला था। ऐसे में पूर्वी Pakistan में प्रवेश करना जोखिमभरा था। जनरल शॉ ने साफ कह दिया कि वह मुकम्मल तैयारी के साथ ही युद्ध के मैदान में उतरेंगे।
दुश्मन ने कर दिया हमला

तीन दिसंबर, 1971 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कलकत्ता (कोलकाता) में जनसभा कर रही थीं। शाम के वक्त पाकिस्तानी वायुसेना ने पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैन्य हवाई अड्डों पर बमबारी शुरू कर दी। सरकार ने जवाबी हमले की योजना बनाई।

भारत का आक्रामक जवाब

भारतीय सैनिकों ने पूर्वी Pakistan के जेसोर व खुलना पर कब्जा कर लिया। 14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश पकड़ा कि ढाका के गर्वनमेंट हाउस में Pakistan के शीर्ष अधिकारियों की बैठक होने वाली है। बैठक के दौरान ही भारतीय मिग-21 विमानों ने बम गिराकर उसकी छत उड़ा दी।
93 हजार पाकिस्तानी सैनिक बने युद्धबंदी

जनरल मानिक शॉ ने जनरल जेएफआर जैकब को 16 दिसंबर को आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तत्काल ढाका पहुंचने का संदेश दिया। पाकिस्तानी जनरल एएके नियाजी के पास ढाका में 26 हजार से ज्यादा सैनिक थे, जबकि भारत के पास वहां से 30 किलोमीटर दूर सिर्फ 3,000 सैनिक उपलब्ध थे। जनरल जैकब नियाजी के कमरे में पहुंचे और देखा कि मेज पर समर्पण के दस्तावेज रखे हुए थे। लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ढाका पहुंचे। नियाजी ने रिवॉल्वर व बिल्ले लेफ्टिनेंट जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिए। दोनों ने दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। 17 दिसंबर को 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। करीब 3,900 भारतीय सैनिकों ने शहादत दी। इस प्रकार बांग्लादेश की नींव पड़ी।
इस दिन खास कार्यक्रम

16 दिसंबर, 2020 को दिल्ली के इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर PM नरेंद्र मोदी 4 मशाल जलाएंगे
16 दिसंबर, 2021 तक मशालें देशभर में घूमेंगी, सेना की ओर से आयोजित होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम।
दिल्ली से चलकर मशाल यात्रा उत्तर क्षेत्र में गाजियाबाद, मोदीनगर, मेरठ, रुड़की, देहरादून, चंडीगढ़ होते हुए आगे बढ़ जाएगी।
इसी प्रकार पश्चिमी, दक्षिण और पूर्वी क्षेत्र की ओर अलग-अलग मशाल यात्राएं रवाना होंगी।

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