Vir Savarkar Book Release

वीर सावरकर को बदनाम करने के लिए चली थी मुहिम: RSS प्रमुख मोहन भागवत

प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि भारत में आज के समय में सावरकर के बारे में वास्तव में सही जानकारी का अभाव है। यह एक समस्या है। सावरकर के बारे में लिखी गईं तीन पुस्तकों के जरिए काफी जानकारी हासिल की जा सकती है। मोहन भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही वीर सावरकर (Veer Savarkar) को बदनाम करने की मुहिम चली। अब इसके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर लगेगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि सावरकर जी का हिन्दुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व ऐसा बोलने का फैशन हो गया, हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा। सावरकर जी ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा।

उन्होंने कहा कि जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के ही साथ जुड़ी है। विभाजन के बाद भारत से स्थलांतर करके पाकिस्तान में गए मुसलमानों की प्रतिष्ठा पाकिस्तान में भी नहीं है। जो भारत का है, वो भारत का ही है। मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि हमारी पूजा विधि अलग- अलग है, लेकिन पूर्वज एक हैं। उन्होंने कहा कि बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने वालों को वहां प्रतिष्ठा नहीं मिली। हिंदुत्व एक ही है जो सनातन है। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि अब 75 साल बाद हिंदुत्व को जोर से बोलने की जरूरत है। वीर सावरकर ने कहा था कि किसी का तुष्टिकरण नहीं होना चाहिए।


इससे पहले आरएसएस सर संघचालक मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने शादी के लिए हो रहे धर्म परिवर्तन पर चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा कि शादी के लिए धर्म परिवर्तन कैसे होता है? हिंदू लड़के और लड़कियां दूसरे धर्म में कैसे बदल रहे हैं? छोटे-छोटे स्वार्थों के लिए ऐसा हो रहा है। ऐसा करने वाले लड़के-लड़कियां गलत कर रहे हैं।

धर्म पर गर्व करना सिखाने की जरूरत
संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने कहा है कि हम अपने बच्चों को तैयार नहीं करते हैं। हमें उन्हें खुद पर और अपने धर्म पर गर्व करना सिखाने की जरूरत है। वहीं मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने उत्तराखंड में आयोजित परिवार प्रबोधन कार्यक्रम में कुटुंब के लिए छह मंत्र दिए। उन्होंने भाषा, भोजन, भजन, भ्रमण, भूषा और भवन के जरिये अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश दिया।

कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि वीर सावरकर जी (Veer Savarkar Ji) महान स्वतंत्रता सेनानी थे इसमें कहीं दोमत नहीं हैं। किसी भी विचारधारा के चश्मे से देखकर राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को अनदेखा करना, अपमानित करना ऐसा काम है जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता।

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