milk-may-become-a-hurdle-in-modis-inflation-fight-in-india

महंगाई से लड़ाई में मोदी सरकार के लिए दूध बन रहा मुसीबत, जानिए कैसे

भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार मिलकर लगातार देश में महंगाई कम करने का प्रयास कर रहे हैं. कल सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों में महंगाई कम होती नजर भी आ रही है. लेकिन रोजर्मरा की चीजे खासकर खाने-पीने की खुदरा चीजों की महंगाई ने आम जनता के लिए मुसीबत खड़ी कर रखी है. आटा, दाल, चावल सब्जी जैसी चीजों की खुदरा महंगाई बढ़ाने के लिए किए जा रहे उपायों के बीच दूध की बढ़ती कीमतों में सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते एक साल में दूध के दाम में बेहताशा तेजी देखने को मिली है. एक साल के दौरान खुदरा दुध की कीमतों में 12 फीसदी की तेजी आ चुकी है. दूध की बढ़ती कीमतें मोदी सरकार की महंगाई से लड़ाई में विलेन का काम कर रही है. अब सवाल है कि आखिर दूध के दाम बढ़ क्यों रहे हैं.

क्यों बढ़ रही हैं कीमतें

देश में मिडिल क्लास का भोजन माना जाने वाला दूध कई घरों का सुबह का फूड माना जाता है. दूध की बढ़ती कीमतों के पीछे कंपनियों का तर्क है कि मवेशियों को जो चारा खिलाया जाता है उसकी कीमतें लगातार बढ़ रही है इसलिए कंपनियों के पास दूध की कीमतें बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बच रहा है.

कैसे दूध बन रहा रास्ते का रोड़ा

सरकार और रिजर्व बैंक महंगाई को कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. बुधवार को जारी आंकड़ों की बात करें तो भारतीय रिजर्व बैंक ने हेडलाइन इन्फेलशन 6 फीसदी से नीचे रख है. लेकिन मिल्क इंडेक्स की बात करें तो यह 9.31 फीसदी से उपर बना हुआ है. अब यहां से असली वजह शुरू होती है कि महंगाई घटने के बाद भी मिल्क इन्फ्लेशन सरकार कम नहीं कर पा रही है. मिल्क इंडेक्स में गिरावट न होने की वजह से सरकार महंगाई पूरी तरह से खत्म नहीं कर पा रही है.

इन चीजों पर दिख रहा असर

अमूल हो, मदर डेयरी हो या कोई और डेयरी कंपनी सबने दूध के दाम में जोरदार बढ़ोतरी की है. जिसकी वजह से दूध से बनने वाले सभी सामान महंगे हो रहे है. मिठाई हो बच्चों की टॉफी या फिर घर का दूध से बना कोई और सामान हर जगह दूध की बढ़ती कीमतों का असर दिख रहा है. इंडियन डेयरी एसोशिएशन के प्रेसीडेंट आर एस सोढ़ी के मुताबिक दूध की बढ़ती कीमतें वाकई चिंता का कारण है. क्योंकिं इसका सीधा असर आम उपभोक्ता पर पड़ रहा है. अब सरकार को चुनाव से पहले इसकी कीमतों पर लगाम लगाना पड़ेगा वरना बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. दरअसल दूध की बढ़ती कीमतों के पीछे एक और बड़ी वजह डिमांड-सप्लाई का खेल भी है. क्योकिं इस सेक्टर का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अनऑर्गेनाइज्ड है जो मुसीबत का कारण है.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1