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Rajasthan Politics: सचिन पायलट को एक बार फिर अभयदान! एक्शन के बजाय सुलह के रास्ते हाईकमान

राजस्थान में वसुंधरा सरकार के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों पर पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के अनशन के बाद अब जपुर से लेकर दिल्ली तक सियासत तेज हो गई है. जानकारी के मुताबिक पायलट मामले को सुलझाने के लिए गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जु्न खरगे ने दिल्ली में एक अहम बैठक बुलाई है जहां राजस्थान के मामले को लेकर चर्चा की जा सकती है. वहीं आलाकमान आज ही तय कर सकता है कि सचिन पायलट के चेतावनी देने के बावजूद किए गए अनशन पर किस तरह की कार्रवाई करनी है. मालूम हो कि पायलट के अनशन के बाद दिल्ली दरबार ने अभी तक चुप्पी साधी हुई है.

इधर अनशन के बाद सचिन पायलट बुधवार को दिल्ली पहुंच गए लेकिन किसी से उनकी मुलाकात की जानकारी नहीं मिली. वहीं राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा पायलट मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष को लिखित रिपोर्ट सौंप चुके हैं. वहीं रंधावा ने बुधवार को कहा कि पायलट ने सही मुद्दा उठाया जिसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन बात रखने का उनका तरीका गलत था. मालूम हो कि रंधावा ने पायलट के अनशन से पहले कहा था कि उनका अनशन पार्टी विरोधी गतिविधि माना जाएगा.

सुलह के मूड में आलाकमान!
दरअसल बुधवार को रंधावा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को पूरे मामले पर रिपोर्ट दी है जिसके बाद बताया जा रहा है कि अब खरगे इस मामले में फैसला कर सकते हैं. वहीं खरगे से मुलाकाता के बाद रंधावा ने कहा कि पायलट के उठाए सारे मुद्दे सही है लेकिन उनका तरीका गलत था, वो अगर विधानसभा में बात रखते तो वहां मुख्यमंत्री जवाब देते.

इसके अलावा पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी करार दे चुके प्रभारी रंधावा से उनके खिलाफ एक्शन पर कहा कि सबसे पहले उनके बयानों की स्टडी कर रहे हैं और स्टडी करने के बाद कुछ एक्शन होगा. माना जा रहा है कि इस पूरे मामले पर अब आलाकमान सुलह का रास्ता निकालने में जुट गई है.ॉ

पायलट के खिलाफ लिया जाएगा एक्शन!
इसके अलावा रंधावा ने कहा कि पिछले दिनों के सभी घटनाक्रमों का मैं विश्लेषण करूंगा और अनुशासनहीनता के मामलों में कार्रवाई कई बार होनी थी लेकिन नहीं हो पाई लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. बताया जा रहा है कि पायलट के खिलाफ एक्शन लेना आलाकमान के लिए इतना आसान नहीं है और तब जब राज्य चुनावों के नजदीक है.

पार्टी के भीतर रहकर ही लड़ाई तेज करेंगे सचिन पायलट! आलाकमान का रुख दे रहा संकेत
मालूम हो कि पिछले 4 सालों में तमाम उतार-चढावों के बाद भी पार्टी ने कोई फैसला दोनों के खिलाफ नहीं लिया है. इसके अलावा राज्य के गुर्जर समुदाय और युवाओं में पायलट का क्रेज है जहां पार्टी वोटर्स को नाराज करने का किसी तरह का जोखिम भी नहीं ले सकती है. ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों के बीच फिर कोई सुलह का फॉर्मूला बनाया जाएगा.

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