बिहार में जैसे जैसे विधानसभा का चुनाव नजदीक होते जा रहा है वैसे वैसे महागठबंधन का रार बढता जा रहा है।जीतनराम मांझी राजद(RJD) के लिए सबसे बडे सिरदर्द के रूप में उभरे है। हम प्रमुख और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कॉर्डिनेशन कमेटी का मसला उठाकर एक बार फिर राजद पर हमला बोला है। मांझी ने प्रेस कांफ्रेस करके राजद को 25 जून तक का अल्टीमेटम देते हुए कहा यदि इसके पूर्व राजद ने कॉर्डिनेशन कमेटी को लेकर कोई फैसला नहीं लिया तो सहयोगी अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र होंगे। इस दौरान आरक्षण के मसले पर मांझी ने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर भी निशाना साधा।
श्री मांझी ने कहा कि गठबंधन के तमाम दल कांग्रेस, रालोसपा, वीआइपी के साथ हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा लगातार कॉर्डिनेशन कमेटी का मसला उठा रहे हैं, लेकिन राजद अपने सहयोगियों को तवज्जो नहीं दे रहा। अबकी राजद को अंतिम मौका दिया जा रहा है। यदि 25 जून तक कॉर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी, तो सहयोगी कोई भी फैसला लेने को स्वतंत्र होंगे। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस, रालोसपा के साथ ही वीआइपी नेता उनके संपर्क में हैं और सब इस मुद्दे पर उनके साथ हैं।
प्रेस कांफ्रेस के एक सवाल पर मांझी ने अपने वोट बैंक को साधते हुए कहा कि कहा कि रामविलास पासवान भी अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षण पर आवाज उठा रहे हैं। इसका मतलब यह कदापि नहीं कि हम उनके साथ हैं। उन्होंने कहा कि पासवान तो खुद केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में मलाई खा रहे है। ऐसे में उनकी मांग किससे है। यदि पासवान सचमुच अनुसूचित जाति-जनजाति आरक्षण के पक्ष में हैं तो इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराएं।
वहीं मांझी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की और कहा कि वे सही निर्णय ले रहे हैं, मगर अधिकारी उनके आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं। मुख्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि सात लाख लोगों को मनरेगा से काम दिया गया। हकीकत यह है कि मनरेगा के अधिकांश काम मशीनों से हो रहे हैं। कांफ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष बीएल वैश्यंत्री, राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान समेत दूसरे पार्टी नेता मौजूद रहे।