टेंट में बिक रही ‘मर्दाना ताकत’, कहीं आपके स्वास्थ्य के लिए न बन जाए घातक; डॉक्टर से जरूर लें सुझाव

जब-जब प्यार पे पहरा हुआ है, प्यार और भी गहरा हुआ है। मर्दाना ताकत बढ़ाएं… निराश रोगी एक बार हमसे जरूर मिलें… दीवारों पर बड़े अक्षरों में लिखे इस तरह के विज्ञापन गाहे-बगाहे आपका ध्यान खींचते ही होंगे। मर्दाना ताकत और यौन क्रिया एक ऐसा विषय है, जो सामाजिक रूप से जितना वर्जित किया गया उतना ही चर्चित रहा है। खैर, विज्ञापन पर लौटते हैं। इस तरह के विज्ञापन अपने पर्दे, बोर्ड और गाड़ी की तख्ती पर चस्पा किये तमाम तथाकथित खानदानी वैद्य और हकीम शहर के फुटपाथ पर आजकल टेंट लगाकर मर्दाना ताकत बेच रहे हैं। वैसे तो हर मर्ज का शर्तिया इलाज (फायदा भगवान जाने) का इलाज इनके पास होता है, लेकिन न बताई जाने वाली बीमारियों के यह स्पेशलिस्ट होते हैं।

जानिए क्या हुआ जब हमारी टीम एक ऐसे ही टेंट में गयी। कोई देख न ले, इस आशंका से मैं दाएं-बाएं देखते हुए एक साथी के साथ हम टेंट में घुसे। सर्वधर्म समभाव प्रदर्शित करते तमाम धार्मिक चित्रों के बीच-बीच कांच के जारों में जड़ी-बूटियां सजी हुई थीं। ग्राहक देखते ही ‘वैद्य’ का खूबियों का बखान करते लाउडस्पीकर की आवाज धीमी होती है। एक दस-बारह साल का लड़का चिल्लाता है दद्दा…। टेंट में चारपाई पर उनींदे से लेटे शख्स की आंखों में ग्राहक देखते ही चमक पैदा होती है। उसके करीब आते की टेंट में फैली धूपबत्ती की महक हल्की हो जाती है, क्योंकि गांजे की महक तो अपने आगे किसी को टिकने नहीं देती।

हम कुछ सोच पाते, इससे पहले ही कानों में आवाज गूंजती है…बाबू नाड़ी देखने का बीस रुपया और दवा का अलग से पड़ेगा। स्वीकृति में सिर हिलते ही मेरे साथी की कलाई उनके हाथ में थी। मर्दाना कमजोरी की घोषणा करते हुए उन्होंने तीन-चार तरह के पैकेज बता दिए। बोले, मर्ज पुराना हो जाता है तो एक साल दवा खानी पड़ती है। तीन महीने और छह महीने का भी पैकेज है। बोले, फिलहाल 15 दिन की दवा 2500 में ले जाओ। पैसे कम होने की वजह बताने पर बोले- तीन सौ रुपये में एक दिन की दवा ले जाओ, फायदा हो तो कल आना। मैंने पूछा, आपने कहां से इलाज सीखा? वैद्यजी बोले, दादा-परदादा के जमाने से यह काम है, जड़ी बूटियों की पहचान बचपन से ही कराई जाती है। पहाड़ों में जाकर दवा खोजनी पड़ती है। ज्यादा पूछताछ करने पर चेहरे पर नाराजगी के भाव उभरे और लहजा तल्ख हो गया। कहने लगे… जाओ अंग्रेजी डॉक्टरों से लुटवाओ पैसा।

लोहिया संस्थान के आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. एसके पांडेय कहते हैं कि कोई भी आयुर्वेदिक दवा एक दिन में फायदा नहीं करती। आयुर्वेदिक दवाएं व्यक्ति के शरीर की प्रकृति देखकर दी जाती हैं। पहले व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित किया जाता है। उसके बाद कोई चिकित्सा प्रारंभ की जाती है। ऐसे टेंट वाली जड़ी-बूटियों के झांसे में न आएं। यह लोग दवाओं में स्टेरायड से लेकर वियाग्रा तक इस्तेमाल करते हैं। इसके काफी दुष्प्रभाव होते हैं। इन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, यह लोग जड़ी-बूटियों और आयुर्वेद चिकित्सा के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं।

CMO डॉ. संजय भटनागर कहते हैं कि अभी हेल्थ टीम कोविड मैनेजमेंट में लगी है। इसके बाद झोलाछापों के खिलाफ सख्त अभियान चलेगा। इनके शर्तिया इलाज के भ्रामक दावों में न पड़ें। सरकारी अस्पताल में कुशल चिकित्सक की देखरेख में इलाज कराएं। किसी को झांसे में लेकर गलत इलाज किया गया है तो वो शिकायत करे। कार्रवाई की जाएगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1