mahagathbandhan-rally-in-rangbhoomi-maidan-opposition-roared-conch-shell-for-lok-sabha-elections

सीटों में हिस्सेदारी पर बिहार से झारखंड तक होगी मारामारी, नए सिरे से तय किए जा रहे समीकरण

गठबंधन में खींचतान का असर सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं रहेगा। झारखंड में भी मारामारी तय है। पिछले चुनाव में दोनों राज्यों की कुल 54 लोकसभा सीटों में से एनडीए ने 51 जीत ली थी। बिहार में 39 और झारखंड में 12 सीटें एनडीए के हिस्से में आई थी।

सीट बंटवारे की स्थिति स्पष्ट नहीं
नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर राजद के साथ सरकार बनाने के बाद दोनों गठबंधनों में सीट बंटवारे की स्थिति स्पष्ट नहीं है। नए सिरे से समीकरण तय किए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा रस्साकशी झारखंड को लेकर है, जहां जदयू ने खीरू महतो को राज्यसभा सदस्य बनाकर भाजपा के विरुद्ध गठबंधन में हिस्सेदारी का संकेत पहले ही दे दिया था।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने भी झारखंड में गतिविधियां बढ़ा दी हैं। सीट बंटवारे में राजद को पिछली बार एक सीट मिली थी। इस बार हिस्सेदारी बढ़ाने की तैयारी है। बेंगलुरु में जुलाई के दूसरे सप्ताह में जब संयुक्त विपक्ष के महारथी जुटेंगे और एक-एक सीटों पर बात होगी तो उसमें बिहार-झारखंड में सीट बंटवारे का मसला प्रमुख रहेगा।दोनों राज्यों के सामाजिक, जातीय एवं सियासी समीकरण लगभग एक जैसे हैं।

राज्य बंटवारे के दौरान से ही सीटों के मामले में एक राज्य की कमी की भरपाई दूसरे राज्य में होती रही है। पिछली बार कांग्रेस के तत्कालीन सांसद कीर्ति आजाद के लिए बिहार में जब जगह नहीं बन पाई थी तो उन्हें झारखंड के धनबाद में शिफ्ट किया गया था।

इसी तरह लालू प्रसाद ने दबाव बनाकर अपने करीबी एवं बिहार में सक्रिय सुभाष यादव के लिए झारखंड की चतरा लोकसभा सीट ले ली थी। गठबंधन में इस बार जदयू को भी उचित प्रतिनिधित्व चाहिए।

क्या था पिछले चुनाव का हाल?
पिछले चुनाव में सीट बंटवारे में झारखंड में कांग्रेस को सात, झामुमो को चार, झाविमो को दो और राजद को एक सीट मिली थी। राज्य सरकार का नेतृत्व करने के चलते इस बार हेमंत सोरेन अपनी पार्टी की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए बेताब दिख रहे हैं। झाविमो के बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया है। ऐसे में झाविमो की सीटों पर झामुमो और राजद की नजर है।

बिहार में राजद और जदयू के बीच भी फंसेगा पेंच
बिहार में राजद और जदयू के बीच सबसे ज्यादा पचड़ा तो उन सीटों पर होगा, जहां पिछले चुनाव में जदयू ने राजद को सीधे मुकाबला में परास्त किया था। ऐसी सीटों की संख्या आठ है। जहानाबाद में तो राजद प्रत्याशी को सिर्फ 17 सौ वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह चार सीटों पर कांग्रेस को हराकर जदयू ने जीत दर्ज की थी।

बिहार में बिगड़ा महागठबंधन का गठित
बिहार में हाल में बहुत परिवर्तन हुए हैं। जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने के बाद महागठबंधन का गणित खराब दिख रहा है। जदयू के अलावा कांग्रेस, राजद और भाकपा माले को भी नए तरीके से हिस्सेदारी चाहिए।

महागठबंधन में अभी जदयू के 16 सांसद हैं और कांग्रेस के एक। राजद और माले शून्य पर हैं। किंतु बदले संदर्भ में चारों दलों को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व चाहिए। कांग्रेस को राजद ने पिछली बार मात्र नौ सीटों पर समेट दिया था।

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1