दिवाली के 15 दिन बात Dev Diwali मनाई जाती है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का दिन होता है। इस दिन भोलेनाथ की त्रिमूर्ति को त्रिपुरासुर के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि देवों ने इसी दिन दिवाली मनाई थी। यही कारण है कि इसे Dev Diwali के नाम से जाना जाता है। Dev Diwali का महत्व बहुत ज्यादा होता है। इस दिन पूजा करने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता होती है जिसकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं। साथ ही समय और विधि की जानकारी भी दे रहे हैं।
पूजा समाग्री:
एक चौकी
भगवान गणेश और शिव जी की मूर्ति और शिवलिंग
पीतल या मिट्टी का दीपक
तेल और घी के लिए दीपक और कपास की डिबिया
कपड़े का एक पीला टुकड़ा
मौली- 2,जनेऊ- 2,बेल पत्र,दूर्वा घास,फूल,इत्र,धूप,नैवेद्य,फल
ताम्बूल – नारियल, पान, सुपारी, दक्षिणा, फल / केला (दो सेट)
हल्दी,कुमकुम / रोली,चंदन,कपड़े का ताजा टुकड़ा या अप्रयुक्त तौलिया,अभिषेक के लिए- जल, कच्चा दूध, शहद, दही, पंचामृत, घी
गंगाजल,कपूर (कपूर)
तिथि और पूजा मुहूर्त:
कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 29 नवंबर, रविवार दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से हो रहा है। यह तिथि 30 नवंबर, सोमवार को दोपहर 02 बजकर 59 मिनट तक है। ऐसे में Dev Diwali का त्यौहार 29 नवंबर दिन रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का समय 2 घंटे 40 मिनट का है। 29 नवंबर को शाम 05 बजकर 08 मिनट से शाम 07 बजकर 47 मिनट के बीच Dev Diwali की पूजा संपन्न कर लेनी चाहिए।
पूजा विधि:
- सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ कपड़े पहनें।
- सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करें।
- फिर बाद में शाम को प्रदोष काल में पूजा करें। लेकिन इससे पहले एक बार स्नान दोबारा करें और फिर साफ कपड़ें पहनें।
- एक चौकी लें। इस पर पीले फूल बिछाएं। इस पर गणेश जी, शिव जी और शिवलिंग स्थापित करें।
- इनके सामने तेल या घी का दीपक जलाएं।
- गणेश जी की पूजा करें और उन्हें हल्दी, चंदन कुमकुम, अक्षत, मौली, जनेऊ, दुर्वा घास के बाद गंडम (इत्र) पुष्पक) फूल और दूर्वा घास, दीपम (दीपक), धुप (धूप) और नैवेद्य (भोजन) चढ़ाएं।
- 2 पान के पत्तों पर ताम्बूलम रख, सुपारी, दक्षिणा और फलों को अर्पित करें।
- फिर शिव जी की पूजा करें। शिव जी का अभिषेक करें। शिव लिंग/मूर्ति को पानी, कच्चे दूध, शहद, दही, घी और पंचामृत से अभिषेक करें। फिर इन्हें पोंछ लें।
- फिर इन्हें चंदन, मौली, जनेऊ, गंधम (इत्र) पुष्पक) फूल और बेल पत्र (विल्व), दीपम (दीपक), धुप (धूप) और नैवेद्य (भोजन) अर्पित करें।
- 2 पान के पत्तों पर ताम्बूलम रख, सुपारी, दक्षिणा और फलों को अर्पित करें।
- भगवान शिव की आरती कपूर से कर पूजा का समापन करें।