Karwa Chauth Date 2020

कब दिखेगा आपके शहर में चांद, जानें करवा चौथ पर चंद्रमा को क्यों देते हैं अर्घ्य?

राजधानी रांची सहित पूरे झारखंड में Karwa Chauth को लेकर उल्लास का वातावरण है। बुधवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष तिथि को धूमधाम से Karwa Chauth पर्व मनाया जाएगा। आज सुहागिनें अपने सुहाग के आरोग्य, सुख-समृद्धि और सफल दांपत्य जीवन की कामना से भगवान शिव-पार्वती सहित पूरे परिवार के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा अर्चना करेंगी। दिनभर निर्जला उपवास रखेंगी। संध्या में चंद्र दर्शन के उपरांत उपवास समाप्त होगा। खासतौर पर विवाहित महिलाएं अपना उपवास अपने पति के हाथों तोड़ेंगी। आइए जानते हैं झारखंड में कब, कहां दिखेगा Karwa Chauth का चांद।

रांची 7:51

धनबाद 7:45

देवघर 7:43

हजारीबाग 7:49

जमशेदपुर 7:49

कोडरमा 7:47

बोकारो 7:47

मान्यता है कि महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के युद्ध में जाने से द्रौपदी काफी चिंतित थी। उस समय भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को निर्जला उपवास रखकर शिव परिवार और चंद्रदेव की विधि-विधान पूर्वक पूजा की। भगवान की कृपा से अर्जुन विजयी रहे। तभी से कृष्ण पक्ष चतुर्थी को व्रत रखने की परंपरा है। मारवाड़ी और पंजाबी समाज में Karwa Chauth विशेष तौर पर मनाया जाता है। इसके अलावा अन्य समाज में भी यह पर्व मनाया जाता है।
चंद्रमा और बृहस्पति का सप्तम

रांची विश्विवद्यालय ज्योतिष विभाग के लेक्चरर डॉ एसके घोषाल के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी पर चंद्रमा और बृहस्पति एक दूसरे के सप्तम भाव में बैठे हैं जो गजकेसरी योग बना रहा है। इसके अलावा इस बार शिव योग के साथ अमृत योग भी बन रहा है। गजकेसरी और शिव योग पर Karwa Chauth का व्रत और शिव परिवार की पूजा उत्तम फलदायी माना गया है। दूसरी ओर चतुर्थी और बुधवार दोनों के ही स्वामी गणेश हैं। ऐसे में गणेश भगवान की विशेष आराधना करने से पति-पत्नी के बीच आपसी संबंध तो प्रगाढ़ होते ही हैं, परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है।

पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

डॉ एसके घोषाल के अनुसार Karwa Chauth का उपवास सुबह 05.56 बजे से संध्या 7.51 बजे तक है। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त संध्या 05.8 बजे से संध्या 06.25 बजे उत्तम है। चंद्रोदय 7.51 बजे होगा।

Karwa Chauth का व्रत आज 04 नवंबर दिन बुधवार को है। इस दिन पतिव्रता महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। दिन भर बिना अन्न तथा जल के व्रत रखकर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं। उसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण तथा पारण कर व्रत पूरा करती हैं। Karwa Chauth के व्रत में चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है? यह सवाल आपके भी मन में होगा, इसलिए आज हम आपको इन दोनों ही सवालों के कारणों के बारे में बता रहे हैं।

करवा चौथ: चंद्रमा को अर्घ्य क्यों

ज्योतिष तथा शास्त्रों में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। साथ ही चंद्रमा सभी औषधियों के स्वामी भी हैं। चंद्रमा की पूजा करने से आयु वृद्धि होती है तथा दाम्पत्य जीवन खुशहाल रहता है। जिन लोगों का मन चंचल होता है, उन लोगों को चंद्रमा की पूजा करने का सुझाव दिया जाता है।

Karwa Chauth के दिन चंद्रमा की पूजा करने के पीछे ये वजहें तो हैं ही, इसके अलावा चंद्रमा को दूध मिले हुए जल से अर्घ्य देने से नकारात्मकता दूर होती है, असुरक्षा और डर की भावना नहीं रहती। पति का स्वास्थ्य ठीक रहता है तथा कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बेहतर होती है।

चंद्रमा का अर्घ्य मंत्र

Karwa Chauth के दिन जब आप चंद्रमा की पूजा करें और उसे अर्घ्य दें तो नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण करें। यह चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र है।
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।

गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

करवा चौथ पूजा में चंद्रमा साक्षी

Karwa Chauth के दिन जब सुहागन महिलाएं माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं, तो वे चंद्रमा को साक्षी मानकर आराधना करती हैं। माता पार्वती यानी चौथ माता से व्रती महिलाएं यह आशीर्वाद मांगती हैं कि जिस प्रकार सति सवित्री का सुहाग अमर हो गया, उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिला, ठीक उसी प्रकार उनका भी सुहाग अखंड और अमर रहे।

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