Jivitputrika Vrat Date: हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका (जितिया व्रत) व्रत पड़ता है. वहीं इस व्रत को जिउतिया भी कहा जाता है. यह त्योहार उत्तर प्रदेश खास तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश और राज्य के कुछ अन्य हिस्सों में तो बिहार, झारखंड के अलावा देश के कुछ और भाग में मनाया जाता है. संतान की दीर्घायु के लिए इस व्रत को रखा जाता है. खासतौर पर यह व्रत पुत्रों के लिए किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं गंधर्व राजा जीमूतवाहन की पूजा के साथ जितिया व्रत की कथा सुनती हैं. साल 2023 में जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) 6 अक्टूबर को पड़ र रहा है.
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महिलाएं निर्जला रहते हुए जीवित्पुत्रिका का व्रत (Jivitputrika Vrat) करती हैं. आइए जानते हैं इस दिन के खास नियम और पूजा पाठ के शुभ मुहूर्त.
जितिया व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 34 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 7 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर होगा. संतान के दीर्घायु के लिए इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं. जीवित्पुत्रिका का पारण करने का शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 32 मिनट के बाद है. जबकि नहाय खाय (Nahay Khay) 5 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा.
जितिया व्रत पर अभिजीत मुहूर्त
जितिया व्रत के दिन पूजा पाठ करने के लिए शुभ माने जाने वाले अभिजीत मुहूर्त की शुरुआत सुबह 11 बजकर 46 मिनट से हो जाएगी. जोकि दोपहर में 12 बजकर 33 मिनट पर खत्म होगी. वहीं इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह के 4 बजकर 38 मिनट से शुरू हो जाएगा और 05 बजकर 28 मिनट पर खत्म होगा.
जितिया व्रत पर खास संयोग
6 अक्टूबर को शुक्रवार और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से जितिया व्रत की महत्ता और बढ़ गई है. शुक्रवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के होने से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है. इस योग में किए गए पूजा-पाठ का विशेष फल मिलता है.
बता दें कि जीवित्पुत्रिका व्रत तीन दिनों तक चलता है. जिसकी शुरुआत पहले दिन से नहाए खाए के साथ होती है. वहीं दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन जाकर व्रत का पारण किया जा