झारखंड (Jharkhand) में बदलते राजनीतिक हालात के बीच झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के विधायक किसी भी वक्त सुरक्षित ठिकानों के लिए निकल सकते हैं। माना जा रहा है कि यह विधायक पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ निकल सकते हैं, जिसे राजनीतिक दृष्टिकोण से दोनों दलों के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। सत्ताधारी गठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल के विधायक हैं जो मंत्री जी हैं। उनको लेकर कोई संशय नहीं, फिर भी उनके छत्तीसगढ़ जाने को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। सत्ताधारी गठबंधन की तैयारियों के अनुसार सरकार को खतरे से बाहर निकालने की कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) के खिलाफ चुनाव आयोग से निर्णय जारी होने के साथ ही यह विधायक झारखंड (Jharkhand) से बाहर निकल जाएंगे। कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के अनुसार, उनके विधायक भी तैयारियों के साथ राजधानी रांची पहुंचे हैं। उधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऐसी किसी संभावना से इन्कार कर रहे हैं।
निशिकांत ने किया था दावा- हेमंत के पास सिर्फ 36 विधायक
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की इस गतिविधियों से यह साफ होता जा रहा कि झारखंड (Jharkhand) में विधायकों की तोड़फोड़ भी होने की आशंका बनी हुई है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक रोज पहले दावा किया था कि हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के पास सिर्फ 36 विधायक ही हैं। कयामत तक वह शेष विधायकों का प्रबंध नहीं कर पाएंगे। यह दावा उन्होंने झामुमो के इस दावे पर किया था कि उसके पास 50 विधायकों का समर्थन पत्र है।
दीपिका पांडेय की गाड़ी में अटैची और पानी के बोतल
दरअसल, हुआ यह कि मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करते समय कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय की गाड़ी की डिक्की खुल गई। इसमें अटैची और पानी के ढेर सारे बोलत देखे गए। मीडिया वालों ने विधायक से इसके बारे में पूछताछ करनी शुरू कर दी। इसपर विधायक दीपिका पांडेय नाराज भी हो गई। इसके बाद यह सूचना आने लगी कि कांग्रेस और झामुमो के विधायकों को पूरी तैयारी के साथ ला आने के बाद इन विधायकों को जरूरत पड़ने पर छत्तीसगढ़ ले जाया जा सकता है। लेकिन अब सूचना है कि फैसला आने से पहले ही हेमंत सोरेन विधायकों को लेकर छत्तीसगढ़ रवाना हो गए हैं।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आवास में खड़ी हैं दो बसें
इसी बीच यह खबर आई कि मुख्यमंत्री आवास में 2 बसें मंगाई गई हैं। इन्हीं बसों से इन विधायकों को लेकर छत्तीसगढ़ जाने की तैयारी की गई है। हालांकि इस बारे में मुख्यमंत्री आवास का कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति कुछ नहीं बोल रहा था। विधायकों ने भी खामोशी की चादर ओढ़ ली थी। मुख्यमंत्री आवास में एक साथ दो बसें देखकर यह अंदाजा लगाया जाने लगा कि अब कुछ खेला होने वाला है।