कांग्रेस की जिद मध्य प्रदेश में बिगाड़ेगी चुनावी

समीकरण, SP-JDU करेंगे बड़ा खेल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के शुरुआती दौर में लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही थी. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के लेकर कुछ मतभेद सामने आए, जिसके बाद अखिलेश यादव ने अपने 41 उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया है. दूसरी ओर नीतीश कुमार की जेडीयू ने भी 10 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं.

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जिद कहीं उसको भारी न पड़ जाए. मध्य प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी की सीधे टक्कर मानी जा रही है, लेकिन अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और नीतीश कुमार की जेडीयू के चुनावी मैदान में उतरने से बड़ा खेल हो सकता है. राज्य में समाजवादी पार्टी की ओर से 68 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं वहीं, जेडीयू ने भी 10 सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं.

जेडीयू ने जिन 10 सीटों पर उम्मीदवार घोषित की है वो बुंदेलखंड, महाकौशल और झाबुआ क्षेत्र की है. ऐसे में यहां पर जेडीयू की वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन सीटों पर कांग्रेस के वोट प्रतिशत में गिरावट देखने को मिल सकती है और जब मुकाबले दो पार्टियों के बीच में हो और तीसरी पार्टी की एंट्री हो जाए तो कुछ सीटों पर इसका गहरा असर भी पड़ सकता है.

JDU की ओर से जिन 10 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा की गई है उसमें पिछोर, राजनगर, बालाघाट, बहोरीबंद, गोटेगांव, नरियावली, विजयराघवगढ़, थांदला, पेटलावद सीट शामिल है. इन सीटों पर जेडीयू की वजह से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ रहा है. पिछले विधानसभा था. ‘चुनाव में भी जेडीयू ने अकेले ही चुनाव लड़ा

अखिलेश ने 68 सीटों पर उतारा उम्मीदवार

वहीं, समाजवादी पार्टी की बात करें तो अखिलेश अब तक 68 सीट पर उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं. इनमें अधिकांश सीटें बुंदेलखंड की है. ऐसे में सपा इन सीटों पर कांग्रेस की रणनीति पर पानी फेर सकती है. बुंदेलखंड 26 सीटों पर यादव वोट 10 से 12 फीसदी बताए जाते हैं. ऐसे में ये मतदाता चुनाव में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं.

नजदीकी मुकाबले में पड़ सकती है खलल

कुल मिलाकर देखें तो मध्य प्रदेश की इन सीटों पर पहले लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच में थी, लेकिन अब समाजवादी पार्टी और जेडीयू की एंट्री भी हो गई है. तीनों ही पार्टियां बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रही है. जेडीयू और सपा की तुलना में कांग्रेस का पलड़ा भारी जरूर है लेकिन नजदीकी मुकाबलों में कांग्रेस के सामने मुश्किल खड़ी हो सकती है.

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