Chhattisgarh Chunav 2023:बीजेपी को चुनौती देने के लिए कांग्रेस का प्लान ’29’, छत्तीसगढ़ में होगा बड़ा प्रयोग

Chhattisgarh Chunav 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का फोकस ओबीसी वोटर्स पर है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने 29 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कांग्रेस इन उम्मीदवारों के सहारे ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। छत्तीसगढ़ में दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने हैं।

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग के जरिये कांग्रेस अपने विरोधी दल भाजपा को पटखनी देने की रणनीति बना रही हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस ने जाति जनगणना का दांव चला है तो वहीं उसने पिछड़ों को उम्मीदवार बनाने में भी कसर नहीं छोड़ी है। विधानसभा चुनाव की बात करें तो राज्य में दो चरणों में मतदान होने वाला है। पहले चरण में सात नवंबर को और दूसरा 17 नवंबर को। राज्य की 90 सीटों पर दोनों ही दलों के बीच सीधी टक्कर होना तय है और कांग्रेस सत्ताधारी दल होने के चलते हर तरह की एंटी इनकंबेंसी को खत्म करते हुए फिर सत्ता में वापसी की कोशिश में है।

कांग्रेस ने सबसे बड़ा दाव पिछड़े वर्ग को लेकर चला है, एक तरफ जहां कांग्रेस लगातार सत्ता में वापसी पर जाति जनगणना की बात कह रही है, वहीं उसने 90 सीटों में से 29 पर ओबीसी वर्ग के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है। एक लिहाज से देखा जाए तो यह प्रतिशत के हिसाब से 33 प्रतिशत से ज्यादा है।

43 फीसदी है आंकड़ा

राज्य में पिछड़े वर्ग के साहू, कुर्मी, यादव, कलार, रजवार जाति के लोगों की संख्या ज्यादा है और इसी को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने इन वर्गों से जुड़े लोगों को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस काफी अरसे से जाति के आधार पर आरक्षण देने की वकालत करती आ रही है। इतना ही नहीं राज्य में 52 फ़ीसदी आबादी ओबीसी होने का दावा किया जाता रहा मगर राज्य सरकार ने क्वांटिफाईबल डाटा आयोग के जरिए गणना कराई गई और यह आंकड़ा 43 प्रतिशत आया ।

बीजेपी आरक्षण विरोधी हैं

कांग्रेस ने ओबीसी को लेकर कई रास्तों पर कदम बढ़ाए हैं।जहां इसी वर्ग से नाता रखने वाले भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया है तो वहीं सत्ता में वापसी पर जाति जनगणना करने की बात कही और 27 प्रतिशत आरक्षण देने की लड़ाई लड़ी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि भाजपा आरक्षण के विरोध में है। कोर्ट का एक आदेश था कि किस आधार पर पिछड़े वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हो। हमने केवल पिछड़े वर्ग और ईडब्ल्यूएस का हेडकाउंट कराया था जिसमें पाया गया कि ओबीसी 43.5 प्रतिशत हैं, क्या भाजपा नहीं मानती कि छत्तीसगढ़ में ओबीसी 43 फीसदी से अधिक है। अगर नहीं मानते तो ये साफ करें।

बीजेपी पर लगाया तुष्टिकरण का आरोप

वहीं, भाजपा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति का रास्ता अपनाने का आरोप लगा रही है और पिछले दिनों रायपुर में हुई भुनेश्वर साहू की हत्या को भी इसी राजनीति का हिस्सा करार दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के विधानसभा चुनाव में पिछड़े वर्ग की बड़ी भूमिका रहने वाली है और यही कारण है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इन दलों के पैरोंकर बन रहे हैं। राज्य में कांग्रेस की सत्ता है और उसे अपने वादे पूरे करने का बेहतर अवसर मिल रहा है। कांग्रेस के नेता अपने बीते पांच साल की उपलब्धियां का लेखा जोखा देने में लगे हैं और ओबीसी के लिए उठाए गए कदमों को जोर-शोर से उठाया जा रहा है।

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1