भारतीय लोग जो कोरोना के गढ़ वुहान में रुक गए थे। उन्हीं भारतीयों का कहना है कि इस वैश्विक महामारी से निपटने के बस दो ही तरीके हैं। पहला है सख्ती से Lockdown को लागू करना और दूसरा सामाजिक दूरी के नियमों का हर वक्त पालन करना। उन्होंने भारतवासियों को सलाह दी है कि इन नियमों का पालन करके ही वह COVID-19 से बच सकते हैं।
वुहान में भारतीय नागरिकों ने कहा कि वह बहुत खुश हैं कि 76 दिनों के बाद वुहान में बुधवार को सख्त Lockdown पूरी तरह से खत्म हो गया है। एक करोड़ दस लाख की आबादी वाले इस शहर में लोगों से पूरी सख्ती से लॉकडाउन के नियमों का पालन कराया गया। वुहान मे्ं लोग 73 दिन से अधिक समय तक अपने कमरे में रहे। आज उन्हे ठीक से बोलने के लिए प्रयास करना पड़ रहा है क्योंकि इतने हफ्ते उनके पास बातचीत के लिए कोई नहीं था। सभी लोग अपने घरों के अंदर थे।
जो भारतीय वहां रुके वह ज्यादातर केरल से हैं, उन लोगों को लगा कि केरल वापस लौटने से उनके बुजुर्ग मां-बाप और बीवी-बच्चे भी संक्रमित हो सकते थे। माइक्रोबायोलिजिस्ट से हाइड्रोबायोलॉजिस्ट बने अरुणजीत ने कहा कि पूरे भारत में लॉकडाउन किया जाना बेहद अच्छा फैसला है। लेकिन बड़ी समस्या तब होगी जब मानसून के सीजन में लोगों की इम्मयूनिटी (प्रतिरोधक क्षमता) फिर कम हो जाएगी। इसलिए अभी वक्त है और लॉकडाउन के जरिये इस संक्रमण से छुटकारा पा लें।
वुहान में रह रहे एक अन्य भारतीय वैज्ञानिक ने बताया कि पूरे 72 दिनों तक उन्होंने खुद को अपने फ्लैट में बंद रखा। उनके पड़ोसी के तीन छोटे बच्चे हैं। उन्हें एक बार भी अपने फ्लैट के बाहर आते नहीं देखा। उन्होंने भी भारतीयों को सलाह दी है कि वह पूरी सख्ती से लॉकडाउन का पालन करें।