भारत में अगर लॉकडाउन की सख्ती से पालन न किया गया तो भारत में भी इटली जैसे हालात हो जाएगें। देश डॉक्टर्स दिन-रात एक करके इस जानलेवा बिमारी से लड़ रहे है। कोरोना को मात देने के लिए हर वो कोशिश की जा रही है जिससे भारत में इसकी रोक-थाम की जा सके, इसी कड़ी में खबर है कि इस महामारी के इलाज में अब भारत भी प्लाज़्मा ट्रीटमेंट का ट्रायल शुरू करने जा रहा है। इस ट्रीटमेंट में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज़ों के खून में मौजूद एंटीबॉडी से उपचार किया जाता है। इसके लिए अगले दो दिनों में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद अपना प्रोटोकॉल गाइडलाइन जारी कर देगा। बता दें इसके ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों की माने तो प्लाज़्मा ट्रीटमेंट के क्लीनिल ट्रायल के लिए फिलहाल केरल को आईसीएमआर ने इजाजत दी है। क्लीनिल ट्रायल के तहत यह उपचार केवल उन मरीज़ों को दिया जाएगा जो वेंटिलेटर पर हैं। बता दें कई देशों में प्लाज़्मा ट्रीटमेंट पर काम हो रहा है। इसमें कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीज़ों का रक्त प्लाज़्मा रोगियों को दिया जाएगा जिसमें इस महामारी के खिलाफ एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं।
आपको बता दें मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के तहत बनने वाली एन्टीबॉडी एक तरह की प्राकृतिक दवा है, जो किसी भी संक्रमण के खिलाफ प्रभावी रोकथाम कर करती है। जिसका काम शरीर में किसी वायरस या बाहरी संक्रमण के खिलाफ बनी एन्टीबॉडी को स्वस्थ्य कोशिकाओं पर जुड़ने से रोकती हैं। शरीर विज्ञान के मुताबिक कोई भी वायरस किसी कोशिका से जुड़ने के बाद ही मल्टीप्लाय होता है। लिहाज़ा उसे रोकने का ये प्राकृतिक और प्रभावी तरीका होता है और ऐसे में वायरस के मल्टीप्लाय न मिलने से वो खुद-खुद नष्ट हो जाता है।