कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए शभर में लॉकडाउन की वजह से देश की आर्थिक स्थिती चरमरा गई है। अर्थशास्त्रियों के माने तो देश की जीडीपी अभी और नीचे गिर सकती है। इसके साथ ही देश में आने वाले समय में भारी संख्या में लोग बेरोजगार हो सकते है। बता दें मार्च महीने के लिए 29 अप्रैल तक जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड का स्तर पर लुढ़ककर 28,309 करोड़ रुपये ही रहा। जबकी 2019 में ये 1.13 लाख करोड़ रुपये था। हालाकि देश में जो जिले ग्रीन जोन में हैं वहां बीते 24 मार्च से कुछ व्यापारियों को और कुछ दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी गई है। लेकिन फिर भी जीएसटी कलेक्शन काफी कम रही। हालाकि 24 मार्च तक सभी बिजनेस एक्टिविटी सुचारु रूप से चल रहे थे, और 24 अप्रैल को केंद्र सरकार ने देशभर में कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया था। हालांकि, मार्च की शुरुआती दिनों में ही कोविड-19 की वजह से आर्थिक गतिविधियां धीमी होने लगीं थी। कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते संक्रमण के साथ ही मैन्युफैक्चरिंग और आयात-निर्यात पर इसका असर देखने को मिला था।
इसके साथ ही एक राज्य से दूसरे राज्य में सामानों के ट्रांसपोर्ट पर लगने वाले ई-वे बिल में भी मार्च के दौरान 30 फीसदी तक की गिरावट देखी गई, और मार्च में घटकर 80 फीसदी तक कमी आ चुकी है। आपको बता दें कि एक राज्य से दूसरे राज्य में 50,000 रुपये से अधिका का सामान एक्सपोर्ट करने पर ई-वे बिल की जरूरत होती है।
वहीं आपको बता दें कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश के सभी कारखाने बंद हैं, वहीं कारोबार भी प्रभावित हो रहा है। जिसके मद्देनजर सरकार से राहत पैकेज की भी मांग तेज हो गई है।