Governments big plan on cybercrime

लाखों हैकर काम करते हैं चीन की साइबर सेना में, अमेरिका भी खाता है खौफ

साल 2019 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस (DoD) ने चीन के साइबर अटैकर्स की ताकत का अंदाजा लगाने की कोशिश की. इस दौरान वो खुद हैरान रह गया क्योंकि चीन में सेना के साथ-साथ साइबर आर्मी को भी बराबर महत्व मिलता है. इसमें एक से बढ़कर एक हैकर्स भरे हुए हैं, जिनका काम बंटा है. जैसे विभाग जासूसी करके खुफिया जानकारियां निकालता है तो कोई ग्रुप सॉफ्टवेयर में गड़बड़ियां पैदा करता है. चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) का मानना है कि सेना पर खर्च की बजाए दुश्मन देश को कमजोर करने के लिए साइबर वॉर छेड़ना कम खर्चीला है.

चीन की साइबर वॉरफेयर ताकत पर साल 2013 में सबसे पहले पूरी दुनिया की नजर गई. उस दौरान अमेरिका का साइबर सिक्टोरिटी से जुड़ी कंपनी Mandiant ने चीन के कारनामों का खुलासा करते हुए बताया था कि कई हाई प्रोफाइल साइबर हमलों में चीन की साइबर फौज का हाथ था. कंपनी ने पूरे सबूतों के साथ बताया कि हमलों से पीपल्स लिबरेशन आर्मी का तीसरा डिपार्टमेंट जुड़ा हुआ था. बता दें कि ये चीन का इंटेलिजेंस ब्रांच है. इसे एक कोड 61398 के नाम से भी जाना जाता है. यही वो कोड है जो दुश्मन देशों पर साइबर अटैक करता है. चीन की साइबर वॉरफेयर ताकत पर साल 2013 में सबसे पहले पूरी दुनिया की नजर गई. उस दौरान अमेरिका का साइबर सिक्टोरिटी से जुड़ी कंपनी Mandiant ने चीन के कारनामों का खुलासा करते हुए बताया था कि कई हाई प्रोफाइल साइबर हमलों में चीन की साइबर फौज का हाथ था. कंपनी ने पूरे सबूतों के साथ बताया कि हमलों से पीपल्स लिबरेशन आर्मी का तीसरा डिपार्टमेंट जुड़ा हुआ था. बता दें कि ये चीन का इंटेलिजेंस ब्रांच है. इसे एक कोड 61398 के नाम से भी जाना जाता है. यही वो कोड है जो दुश्मन देशों पर साइबर अटैक करता है.

चीन की साइबर वॉरफेयर ताकत पर साल 2013 में सबसे पहले पूरी दुनिया की नजर गई. उस दौरान अमेरिका का साइबर सिक्टोरिटी से जुड़ी कंपनी Mandiant ने चीन के कारनामों का खुलासा करते हुए बताया था कि कई हाई प्रोफाइल साइबर हमलों में चीन की साइबर फौज का हाथ था. कंपनी ने पूरे सबूतों के साथ बताया कि हमलों से पीपल्स लिबरेशन आर्मी का तीसरा डिपार्टमेंट जुड़ा हुआ था. बता दें कि ये चीन का इंटेलिजेंस ब्रांच है. इसे एक कोड 61398 के नाम से भी जाना जाता है. यही वो कोड है जो दुश्मन देशों पर साइबर अटैक करता है.

इस कोड के बारे में दुनिया को बहुत कम जानकारी है, सिवाय इसके कि ये चीन के Chengdu शहर से संचालित होने वाला विभाग है. ये कितना काबिल है, इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि इस कोड में काम करने वाले हैकर्स अलग-अलग हजारों सर्वर पर काम करते हैं. साल 2014 में इस कोड की बिल्डिंग 12 मंजिला थी और एरिया लगभग 130,000 स्क्वैयर फीट में फैला हुआ था. सीएनएन के मुताबिक तभी ही वहां हजारों हैकर्स काम करते थे. अब ये कम से कम एक लाख होंगे. इस कोड के बारे में दुनिया को बहुत कम जानकारी है, सिवाय इसके कि ये चीन के Chengdu शहर से संचालित होने वाला विभाग है. ये कितना काबिल है, इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि इस कोड में काम करने वाले हैकर्स अलग-अलग हजारों सर्वर पर काम करते हैं. साल 2014 में इस कोड की बिल्डिंग 12 मंजिला थी और एरिया लगभग 130,000 स्क्वैयर फीट में फैला हुआ था. सीएनएन के मुताबिक तभी ही वहां हजारों हैकर्स काम करते थे. अब ये कम से कम एक लाख होंगे.

इस कोड के बारे में दुनिया को बहुत कम जानकारी है, सिवाय इसके कि ये चीन के Chengdu शहर से संचालित होने वाला विभाग है. ये कितना काबिल है, इसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि इस कोड में काम करने वाले हैकर्स अलग-अलग हजारों सर्वर पर काम करते हैं. साल 2014 में इस कोड की बिल्डिंग 12 मंजिला थी और एरिया लगभग 130,000 स्क्वैयर फीट में फैला हुआ था. सीएनएन के मुताबिक तभी ही वहां हजारों हैकर्स काम करते थे. अब ये कम से कम एक लाख होंगे.

इसी दौरान US-China Economic and Security Review Commission की रिपोर्ट भी आई. इसमें भी साफ था कि चीन की साइबर आर्मी इस हद तक ताकतवर हो चुकी है कि अगर युद्ध छिड़े तो चीन को ग्राउंड की सेना की उतनी जरूरत नहीं होगी, जितनी मदद हैकिंग से मिल जाएगी. इसी दौरान US-China Economic and Security Review Commission की रिपोर्ट भी आई. इसमें भी साफ था कि चीन की साइबर आर्मी इस हद तक ताकतवर हो चुकी है कि अगर युद्ध छिड़े तो चीन को ग्राउंड की सेना की उतनी जरूरत नहीं होगी, जितनी मदद हैकिंग से मिल जाएगी.

इसी दौरान US-China Economic and Security Review Commission की रिपोर्ट भी आई. इसमें भी साफ था कि चीन की साइबर आर्मी इस हद तक ताकतवर हो चुकी है कि अगर युद्ध छिड़े तो चीन को ग्राउंड की सेना की उतनी जरूरत नहीं होगी, जितनी मदद हैकिंग से मिल जाएगी.

साल 2017 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने Central Commission for Integrated Military and Civilian Development बनवाया. इसमे सेना के कामों में जनता यानी हैकर्स की भागीदारी तय की गई. इसी साल के आखिर में साइबर सिक्योरिटी इनोवेशन सेंटर बना. इसका जिम्मा है भविष्य में होने वाली साइबर जंग में जीत हासिल करना. चीन की सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी कंपनी 360 Enterprise Security Group इसे लीड कर रही है.

साल 2017 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने Central Commission for Integrated Military and Civilian Development बनवाया. इसमे सेना के कामों में जनता यानी हैकर्स की भागीदारी तय की गई. इसी साल के आखिर में साइबर सिक्योरिटी इनोवेशन सेंटर बना. इसका जिम्मा है भविष्य में होने वाली साइबर जंग में जीत हासिल करना. चीन की सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी कंपनी 360 Enterprise Security Group इसे लीड कर रही है.

साल 2017 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने Central Commission for Integrated Military and Civilian Development बनवाया. इसमे सेना के कामों में जनता यानी हैकर्स की भागीदारी तय की गई. इसी साल के आखिर में साइबर सिक्योरिटी इनोवेशन सेंटर बना. इसका जिम्मा है भविष्य में होने वाली साइबर जंग में जीत हासिल करना. चीन की सबसे बड़ी साइबर सिक्योरिटी कंपनी 360 Enterprise Security Group इसे लीड कर रही है.

खुद चीन मान चुका है कि वो साइबर आर्मी पर काफी ध्यान दे रहा है. पीपल्स लिबरेशन आर्मी की मैगजीन The Science of Military Strategy में इस बात का हवाला दिया गया है. वहीं साल 2013 से पहले चीन साइबर हमलों की बुराई करता रहा था. सेना और संस्थानों के साथ चीन में गैर सरकारी संस्थाएं भी हैं जो हैकिंग में ट्रेंड हैं ताकि देश की सुरक्षा की जा सके. खुद चीन मान चुका है कि वो साइबर आर्मी पर काफी ध्यान दे रहा है. पीपल्स लिबरेशन आर्मी की मैगजीन The Science of Military Strategy में इस बात का हवाला दिया गया है. वहीं साल 2013 से पहले चीन साइबर हमलों की बुराई करता रहा था. सेना और संस्थानों के साथ चीन में गैर सरकारी संस्थाएं भी हैं जो हैकिंग में ट्रेंड हैं ताकि देश की सुरक्षा की जा सके.

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