Makar Sankranti 2021

जानिए भारत के किस राज्य में कैसे मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्योहार

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस साल ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन को नए फल और नए ऋतु के आगमन के लिए मनाया जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि पर प्रवेश करते हैं तब Makar Sankranti का पर्व मनाया जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान, धर्म करते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यतों के अनुसार Makar Sankranti के दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का वध कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को Makar Sankranti पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा। वहीं माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा था कि जो मनुष्य इस दिन अपने देह को त्याग देता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ती होती है। यूं तो सारे पर्व पूरे देश में मनाए जाते हैं लेकिन Makar Sankranti की बात ही अलग है। ये अलग-अलग राज्‍यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। इस बार अगर आप भी किसी और जगह की Makar Sankranti का हिस्‍सा बनना चाहते हैं, तो आइए जानते हैं कि कहां और कैसे मनाते हैं मकर संक्रांति।

उत्तर प्रदेश
उत्‍तर प्रदेश में Makar Sankranti पर्व को ‘दान का पर्व’ कहा जाता है। इसे 14 जनवरी को मनाया जाता है। मान्‍यता है कि Makar Sankranti से पृथ्‍वी पर अच्‍छे दिनों की शुरुआत होती है और शुभकार्य किए जा सकते हैं। संक्रांति के दिन स्‍नान के बाद दान देने की परंपरा है। गंगा घाटों पर मेलों का भी आयोजन होता है। पूरे प्रदेश में इसे खिचड़ी पर्व के नाम से जानते हैं। प्रदेश में इस दिन हर जगह आसमान पर रंग-बिरंगी पतंगें लहराती हुई नजर आती हैं।
पंजाब और हरियाणा

पंजाब और हरियाणा में इसे 14 जनवरी से एक दिन पूर्व मनाते हैं। वहां इस पर्व को ‘लोहिड़ी’ के रूप में जाना जाता है। इस दिन अग्निदेव की पूजा करते हुए तिल, गुड़, चावल और भुने मक्‍के की उसमें आहुत‍ दी जाती है। यह पर्व नई दुल्‍हनों और नवजात बच्‍चों के लिए बेहद खास होता है। सभी एक-दूसरे को तिल की बनीं मिठाइयां खिलाते हैं और लोहिड़ी लोकगीत गाते हैं।

पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर गंगासागर पर बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। यहां इस पर्व के दिन स्‍नान करने के बाद तिल दान करने की प्रथा है। कहा जाता है कि इसी दिन यशोदा जी ने श्रीकृष्‍ण की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था। साथ ही इसी दिन मां गंगा भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगा सागर में जा मिली थीं। यही वजह है कि हर साल मकर संक्रांति के दिन गंगा सागर में भारी भीड़ होती है।

बिहार
बिहार में भी Makar Sankranti को खिचड़ी पर्व के ही नाम से ही जानते हैं। यहां उड़द की दाल, चावल, तिल, खटाई और ऊनी वस्‍त्र दान करने की परंपरा है।

असम
असम में इसे ‘माघ-बिहू’ और ‘भोगाली-बिहू’ के नाम से जानते हैं। वहीं तमिलनाडू में तो इस पर्व को 4 दिनों तक मनाते हैं। यहां पहला दिन भोगी-पोंगल, दूसरा दिन सूर्य- पोंगल, तीसरा दिन मट्टू-पोंगल और चौथा दिन ‘कन्‍या-पोंगल के रूप में मनाते हैं। यहां दिनों के मुताबिक पूजा-अर्चना की जाती है।

राजस्थान
राजस्‍थान में इस दिन बहुएं अपनी सास को मिठाइयां और फल देकर उनसे आर्शीवाद लेती हैं। इसके अलावा वहां किसी भी सौभाग्‍य की वस्‍तु को 14 की संख्‍या में दान करने का अलग ही महत्‍व बताया गया है।

महाराष्ट्र
महाराष्‍ट्र में इस दिन गूल नामक हलवे को बांटने की प्रथा है। साथ ही लोग जरूरतमंदों को दान भी देते हैं।

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