बिहार के विधानसभा चुनाव में लगातार नए समीकरण बन रहे हैं। बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय विधानसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए। उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन ना BJP से और ना ही जदयू से उन्हें टिकट मिल पाया है। ऐसे में रिटायर होने से काफी पहले ही उन्होंने VRS ले लिया था और नौकरी को अलविदा कहकर खादी पहन ली थी। लेकिन अब जब उन्हें टिकट नहीं मिला है तो पूर्व DGP के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं।
क्या है मौजूदा परिस्थिति?
बिहार में चुनावी माहौल के बीच सितंबर महीने में गुप्तेश्वर पांडेय ने नौकरी से VRS यानी खुद की मर्जी से रिटायरमेंट लिया। जिसके कुछ दिनों बाद उनके बक्सर से चुनाव लड़ने की सरगर्मी तेज़ हुई और वो जदयू में शामिल हो गए। Gupteshwar Pandey ने नीतीश कुमार की मौजूदगी में पार्टी ज्वाइन की। लेकिन सीटों के बंटवारे के बाद बक्सर सीट BJP के खाते में चली गई, ऐसे में जदयू से उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद टूट गई। और BJP ने अपने उम्मीदवार को मौका दे दिया। बाद में Gupteshwar Pandey ने बयान दिया कि वो इस बार चुनाव ही नहीं लड़ेंगे।
क्या फिर पहन सकते हैं वर्दी?
अब जब ये संकेत मिल रहे हैं कि Gupteshwar Pandey का राजनीतिक करियर शुरू होने से पहले ही झटके खा रहा है तो सवाल है कि क्या वो फिर से नौकरी पर लौटेंगे। दरअसल, जब गुप्तेश्वर पांडेय ने VRS लिया तो उनके कार्यकाल में काफी वक्त था। बतौर DGP गुप्तेश्वर पांडेय का कार्यकाल अप्रैल 2021 तक का है। यानी करीब 6 महीने का वक्त बचा है, उन्होंने जनवरी 2019 में DGP का पद संभाला था।
ऐसा पहले भी हुआ है जब Gupteshwar Pandey ने VRS लेकर चुनावी राजनीति में कदम रखा हो और फिर घर वापसी कर ली हो। 1987 बैच के IPS ऑफिसर Gupteshwar Pandey ने 2009 के चुनाव से पहले VRS लिया था, तब उन्होंने बक्सर से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी तब भी जदयू से उम्मीद थी। लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला और वो वापस नौकरी पर आ गए।
क्या है VRS का नियम?
जो भी सरकारी कर्मचारी जो अपनी नौकरी को 30 साल पूरे कर चुका हो, वो अपने पूरे कार्यकाल से पहले ही इच्छा अनुसार रिटायर हो सकता है। इसके लिए राज्य या केंद्र सरकार को 3 महीने पहले ही एक नोटिस देना होता है, जिसके बाद ये प्रक्रिया पूरी हो जाती है। 2009 में भी Gupteshwar Pandey ने ऐसे ही VRS लेने के नौ महीने बाद राज्य सरकार से इस्तीफा वापस लेने और फिर नौकरी पर वापस आने की अपील की थी, जिसे स्वीकार लिया गया था।
अब जब उनके कार्यकाल में वक्त बचा है तो वह दोबारा ये रास्ता अपना सकते हैं। हालांकि, क्योंकि अब चुनाव आचार संहिता लगी है, ऐसे में राज्य सरकार उन्हें वापस लेगी और क्या फिर से DGP पद पर देती है ये मंथन का विषय है।