Shivraj Singh Chauhan

गुना में किसान परिवार पर पुलिसिया बर्बरता की पूरी कहानी,जिससे नपे डीएम,एसपी और आईजी

गुना- मध्य प्रदेश के गुना में प्रशासन की बेरहमी का ऐसा गुनाह सामने आया है जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। दरअसल गुना में कर्ज में डूबे में एक किसान की फसल पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया। अपने खेतों को बचाने की फरियाद कर रहे किसान परिवार पर पुलिस ने बेरहमी से लाठियां बरसाईं।

फसल बर्बाद होने और कर्ज ना चुका पाने की जैसे हालातों देखते हुए सदमे में किसान दंपति ने कीटनाशक पी लिया। इसके बाद भी प्रशासन का रवैया देखिए कि किसान दंपति के खिलाफ ही केस दर्ज कर लिया। घटना गुना की है जहां से हाल में कांग्रेस के नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने BJP का दामन थामा है। ऐसे में लोग Shivraj सरकार और ज्योतिरादित्य सिंधिया पर सवाल उठाने लगे।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ और लोग सवाल करने लगे कि क्या यही Shivraj Singh Chauhan का शासन है। मामले की गंभीरता की गंभीरता को देखते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुख्यमंत्री से बात की। इसके बाद कार्वाई का दौर शुरू हुआ। इलाके के DM, SP, गुना रेंज के IG राजाबाबू को हटा दिया गया।

घटना पर विपक्ष ने शिवराज सरकार को घेरा
दलित किसान परिवार पर हुए पुलिसिया अत्याचार को लेकर विपक्ष ने शिवराज सरकार को घेरना शुरू कर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया, ”ये शिवराज सरकार प्रदेश को कहाँ ले जा रही है ? ये कैसा जंगल राज है ? गुना में कैंट थाना क्षेत्र में एक दलित किसान दंपत्ति पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों द्वारा इस तरह बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज।”

उन्होंने आगे लिखा, ”यदि पीड़ित युवक का ज़मीन सम्बंधी कोई शासकीय विवाद है तो भी उसे क़ानूनन हल किया जा सकता है लेकिन इस तरह क़ानून हाथ में लेकर उसकी,उसकी पत्नी की,परिजनो की व मासूम बच्चो तक की इतनी बेरहमी से पिटाई,यह कहाँ का न्याय है? क्या यह सब इसलिये कि वो एक दलित परिवार से है,ग़रीब किसान है?”

कमलनाथ ने कहा, ”क्या ऐसी हिम्मत इन क्षेत्रों में तथाकथित जनसेवकों व रसूख़दारों द्वारा क़ब्ज़ा की गयी हज़ारों एकड़ शासकीय भूमि को छुड़ाने के लिये भी शिवराज सरकार दिखायेगी ? ऐसी घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती है. इसके दोषियों पर तत्काल कड़ी कार्यवाही हो , अन्यथा कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी.” कमलनाथ के अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी शिवराज सरकार को घेरा। उन्होंने घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ”हमारी लड़ाई इसी सोच और अन्याय के ख़िलाफ़ है।”

कांग्रेस के अलावा BSP प्रमुख मायावती ने भी बीजेपी को घेरा। उन्होंने लिखा, ” एक तरफ BJP व इनकी सरकार दलितों को बसाने का ढिंढोरा पीटती है जबकि दूसरी तरफ उनको उजाड़ने की घटनाएं उसी तरह से आम हैं जिस प्रकार से पहले कांग्रेस पार्टी के शासन में हुआ करती थी, तो फिर दोनों सरकारों में क्या अन्तर है? खासकर दलितों को इस बारे में भी जरूर सोचना चाहिए।”


विपक्ष की ओर से हमलों का जवाब देने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया आगे आए। गुना के पूर्व लोकसभा सांसद ज्योतिरादित्य ने लिखा, ”गुना की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री श्री Shivraj Singh Chauhan जी से चर्चा कर के ऐसे असंवेदनशील व दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही का अनुरोध किया है। गुना की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए मुख्यमंत्री Shivraj Singh Chauhan जी ने गुना के कलेक्टर और एसपी को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दे दिए है।’


क्या है पूरा मामला ?
गुना में जिस जमीन को लेकर हंगामा मच दरअसल वो सरकारी रिकॉर्ड में पीजी कॉलेज की जमीन है। लेकिन इस जमीन पर राजकुमार अहिरवार नाम के किसान का परिवार पुश्तों से खेती कर रहा था। इस साल भी राजकुमार के परिवार ने कर्ज लेकर खेत में फसल लगाई थी। राजकुमार की फसल में अंकुर भी फूट चुके थे।

मंगलवार को अचानक SDM के नेतृत्व में नगर पालिका की टीम यहां पहुंची और खेतों में बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। राजकुमार के परिवार ने जब इसका विरोध किया को पुलिस ने लाठियां बरसानी शुरू कर दीं। अपनी आंखों के सामने अपनी मेहनत को बर्बाद होते देख सदमे में किसान दंपति ने खेत में ही कीटनाशक पी लिया। इसके बाद भी पुलिस की बेरहमी सामने आई। राजकुमार और उनकी पत्नी को जनवरों की उठा कर गाड़ी में रखा गया और अस्पताल पहुंचाया गया।

प्रशासन की ओर से जब यह कार्रवाई की जा रही थी तब राजकुमार ने कहा कि अगर आप यह खेत लेना चाहते हैं तो फसल हो जाने दें। इसके बाद मुझे कहीं और जमीन दे दें। राजकुमार के परिवार पर तीन लाख रुपये का कर्ज है। जानकारी के अनुसार अस्पताल में राजकुमार की पत्नी की हालत गंभीर है।

ऐसे में सवाल यही है कि आजादी के बाद से ना जाने कितने दलित , असहाय, किसानों पर पुलिस की बर्बरता की घटनाएं हो चुकी हैं इसकी गणना करना भी मुश्किल है। इतना ही नहीं इन बर्बरता के बाद कार्रवाई के तहत कई दफे DM- SP हटाए जाते रहे हैं। इन सब के बीच बड़ा सवाल बना हुआ है कि क्या DM-SP के हटाने से ऐसी घटनाएं देश में थम गई हैं?


गुना में दलितों की पिटाई की बर्बरता
दरअसल, गरीब-बेसहारा पर पुलिस प्रशासन की बर्बरता की सोच अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही है। कांग्रेस पार्टी ने इस देश पर छह दशक से ज्यादा समय तक राज किया है, तो क्या पुलिस-प्रशासन की बर्बर सोच को कानून के दायरे में लाने के लिए ये कम वक्त होता है?

बीजेपी खुद को कैसे बचा सकती है?
राहुल गांधी के ट्वीट के बाद मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कमलनाथ सरकार को दोष दे रहे हैं। पुरानी सतना अपहरण की घटना को याद कर बता रहे हैं कि कमलनाथ की सरकार आने से राज्य में गुंडागर्दी बढ़ी है। वे कह रहे हैं कि कमलनाथ की सरकार में अपराधी पर कार्रवाई नहीं होती थी, उनके शासन में हर दोषी के खिलाफ कार्रवाई होती है। नरोत्तम शायद भूल गए हैं कि वह इस वक्त सत्ताधारी हैं।

दलितों की पिटाई किसी गुंडे ने नहीं, बल्कि पुलिस ने की है। क्या राज्य की पुलिस प्रशासन भी गुंडों की तरह किसी दलित की पिटाई कर देगी। क्या सरकार ऐसी घटनाएं होने का इंतजार करती रहेंगी। अपने इस बयान के जरिए नरोत्तम मिश्रा क्या कहना चाह रहे हैं। क्या सरकारें पिछली घटनाओं को बताने के लिए होती हैं।

किसके इशारे पर हुई ऐसी बर्बर कार्रवाई
हमारे देश का कानून फांसी की सजा पाने वाले को भी मोहलत देता है। ये तो किसान थे, जिन्होंने बस अपने आजाद देश के किसी जमीन के टुकड़े पर अनाज बोए थे। वे फसल पकने की मोहलत ही तो मांग रहे थे। जमीन खाली कराने की प्रक्रिया में पहले नोटिस जारी होता है, फिर कई दौर की समझाइश होती है। आखिर में हल्का बल प्रयोग की नीति है। लेकिन जब गरीब और बेसहारा की बात आती है तो पुलिस उनपर सीधे डंडे बरसाने लग जाती है। हमारे कानून में किसी किसान परिवार पर बल प्रयोग करने की किसी भी सूरत में इजाजत नहीं देता है। इस घटना के बाद CM शिवराज ने बैठक बुलाई है, जिसमें तय होना है कि सरकारी जमीन का रखरखाव कैसे हो।

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