महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में हिंदू नववर्ष को Gudi Padwa के रूप में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। दक्षिण भारतीय राज्यों में, इस दिन को फसल दिवस के रूप में मनाते हैं। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को Gudi Padwa के रूप में मनाया जाता है। इस बार गुड़ी पड़वा 13 अप्रैल 2021 (सोमवार) को मनाया जाएगा। इस दिन घरों में पकवान बनाकर पूजा अर्चना की जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आइए आपको बताते हैं Gudi Padwa का महत्व और इसकी पूजा विधि।
कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा
गुड़ी पड़वा के दिन महाराष्ट्र में कई समारोह आयोजित किए जाते हैं। लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ इस उत्सव को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते हैं। लोग अपने घरों में विशेष तौर पर पारंपरिक व्यंजन जैसे पूरन पोली और श्रीखंड तैयार करते हैं। महाराष्ट्र में मीठे चावल भी बनाए जाते हैं। इन चावलों को सक्कर भात कहा जाता है। इस दिन सूर्योदय के साथ ही विभिन्न अनुष्ठान आरंभ हो जाते हैं जो दिनभर चलते हैं।
गुड़ी पड़वा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा ने इस ब्रह्मांड का निर्माण किया था, इसलिए Gudi Padwa के दिन, भगवान ब्रह्मा की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस त्योहार पर सारी बुराइयों का नाश हो जाता है और सुख समृद्धि का आगमन होता है।
गुड़ी पड़वा की पूजा विधि
-गुड़ी पड़वा का अनुष्ठान सूर्योदय से पहले आरंभ हो जाता है। लोग सुबह जल्दी उठकर शरीर पर तेल लगाने के बाद स्नान करते हैं।
-घर के मुख्य द्वार को आम के पत्तों और सुंदर फूलों से सजाया जाता है। इसके साथ ही रंगोली भी बनाई जाती है।
-इसके बाद एक स्थान को साफ करके वहां गुड़ी लगाई जाती है।
-पीले रंग के रेशमी कपड़े, आम के पत्तों और लाल रंग के फूलों की माला से गुड़ी को सजाया जाता है।
-लोग भगवान ब्रह्मा की पूजा करते हैं और उसके बाद गुड़ी फहराते हैं।
-गुड़ी फहराने के बाद भगवान विष्णु का आह्वान और पूजन किया जाता है।