आज सभी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवाचौथ का व्रत रखी हुई हैं। यह व्रत महिलाओं के लिए सबसे खास होता है। क्योंकि वह इस दिन पूजा करने के साथ-साथ खूब सजती संवरती भी हैं। करवाचौथ आने से पहले मार्केट में एक अलग सी ही रौनक देखने को मिलती है। यह व्रत आजकल सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां अपने बॉयफ्रेंड, मंगेतर और फ्यूचर हसबैंड के लिए भी रखती हैं।
लड़कियां भले ही यह व्रत कर लेती हैं, लेकिन उनके मन में यह सवाल होता है कि शादी से पहले यह व्रत करना सही है। वहीं करवा चौथ से जुड़े और भी कई ऐसे सवाल है जो महिलाओं के मन चलते रहते हैं, जैसे छलनी से ही चांद क्यों देखा जाता है? ऐसे में आज चलिए हम आपके सरे सवालों के जवाब देंगे। जिससे आप व्रत की सभी बारीकियों को जानकर करवाचौथ को अच्छे से कर सकें।
कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं ये व्रत
ज्योतिषी के मुताबिक सभी कुवांरी लड़कियां यह व्रत रख सकती हैं। अगर आप किसी भी रिश्ते में नहीं हैं तब भी आप इस व्रत को रख सकती हैं। इससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता लेकिन पूजा पूरे विधि-विधान से करें।
जानिए नियम
करवाचौथ का व्रत विवाहित और अविवाहित दोनों के लिए होता जरूर है लेकिन इसके नियम अलग-अलग होते हैं। अगर आप अपने ब्वॉयफ्रेंड या मंगेतर के लिए व्रत नहीं रख रही हैं तो निर्जला व्रत ना करके निराहार व्रत रखें। यही नहीं व्रत के बाद सिर्फ चांद की पूजा ना करें। शिव और पार्वती की अराधना करने से भी आपके मनचाहे वर की इच्छा भी पूरी होती है। अगर आप किसी रिश्ते में नहीं है तो पार्वती माता से अपने होने वाले जीवनसाथी की लंबी उम्र की कामना जरूर करें।
छलनी से क्यों देखते हैं चांद
करवाचौथ व्रत की कथा के मुताबिक, सात भाइयों की एक बहन वीरावती को उसके भाइयों ने स्नेहवंश भोजन करवाने के लिए छल से चांद की बजाए छलनी की ओट में दीपक दिखाकर भोजन करवा दिया था, जिससे उसका व्रत भंग हो गया। इसके बाद उसने पूरे साल चतुर्थी का व्रत किया। दोबारा करवा चौथ आने पर उसने विधिपूर्वक व्रत किया और उसे सौभाग्य की प्राप्ति हुई। इसके पीछे एक और रहस्य है कि कोई छल से उनका व्रत भंग न कर दें इसलिए छलनी के जरिए बहुत बारीकी से चंद्रमा के देखकर व्रत खोला जाता है। इसी बात को दोहराते हुए महिलाएं छलनी से चांद देखती हैं।
किसने रखा था सबसे पहले व्रत?
कथाओं के मुताबिक करवा चौथ का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इसी व्रत से उन्होंने अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था। यही वजह है कि इस व्रत के दौरान माता पार्वती की पूजा की जाती है। माता पार्वती के बाद महाभारत में पांडवो की विजय के लिए द्रोपद्री ने भी पूरे विधि-विधान से यह व्रत रखा था।
देवाताओं की विजय के लिए माताओं ने रखा था व्रत
जानकारी के मुताबिक करवा चौथ की कथा कभी भी अकेले नहीं सुननी चाहिए इसलिए इसके साथ गणेश भगवान की कथा भी सुनाई जाती है। इससे महिलाओं को एक पत्नी और एक मां की शक्ति मिलती है।