Nifty Midcap

शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले संभल जाए, आज से नए नियम लागू

शेयर बाजार में 1 सितंबर से आम निवेशकों के लिए मार्जिन के नए नियम लागू हो रहे हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो ब्रोकर की ओर से मिलने वाले मार्जिन का लाभ अब निवेशक नहीं उठा सकेंगे। जितना पैसा वे अपफ्रंट मार्जिन के तौर पर ब्रोकर को देंगे, उतने के ही शेयर खरीद सकेंगे। शेयर बाजार रेग्युलेटर सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे। नए सिस्टम में शेयर आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में स्टॉक्स नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेग।

आइए जानिए इससे जुड़ी बातें…

ब्रोकर्स के लिए निवेशकों से मार्जिन अपफ्रंट लेना अनिवार्य हुआ।
क्लाइंट के पावर ऑफ अटॉर्नी पर रोक लगेगी।
ब्रोकर्स के पास अब क्लाइंट के ट्रांजेक्शन का अधिकार होगा।
मार्जिन प्लेज होने पर भी पावर ऑफ अटॉर्नी इस्तेमाल नहीं होगा।
मार्जिन लेने वाले निवेशक अलग से मार्जिन प्लेज कर सकेंगे।
पहले मार्जिन अपफ्रंट लेना अनिवार्य था।
नए नियम के तहत निवेशकों को कम से कम 30 फीसदी मार्जिन अपफ्रंट देना होगा।
कैश सेगमेंट में भी अपफ्रंट मार्जिन की जरूरत होगी।

एसकोर्ट सिक्योरिटी ने नए नियमों के बारे में बताया

  1. अब कैश सेगमेंट में मार्जिन अनिवार्य है।
  2. अब अग्रिम मार्जिन किसी भी रूप में आवश्यक होगा चाहे आप इंट्राडे या डिलीवरी में व्यापार करे। डिलीवरी की बिक्री में भी व्यापार के लिए अग्रिम मार्जिन की आवश्यकता होगी।
  3. यदि शेयरों का Early पे इन उसी दिन किया जाता है, तो इसे शेयर बिक्री के लिए मार्जिन की पूर्ति के रूप में माना जाएगा। Early पे इन, उन शेयरों के लिये जो हमारे पास या POA में है, करने के लिए हमारी ओर से पूर्ण प्रयास करेंगे।
  4. बीटीएसटी ट्रेड्स के लिए, खरीदने और बेचने, दोनों तरफ मार्जिन की आवश्यकता होगी।
  5. T दिन पर पर्याप्त मार्जिन उपलब्ध नहीं होने पर मार्जिन पेनल्टी लगाई जाएगी। भले ही डेबिट के सामने पूर्ण राशि टी + 1 दिन पर भुगतान की गई हो, लेकिन टी दिन पर मार्जिन कम रहा तो पेनल्टी लगेगी।
  6. ट्रेडिंग डे के लेजर बेलेन्स (ट्रेड डे -1 दिन का मार्जिन कम करने के बाद) + हेयर कट के बाद
    प्लेज किए गए शेयरों (हमारे साथ प्लेज ) के मूल्य पर ट्रेडिंग एक्सपोज़र (सीमा) की अनुमति होगी।
  7. पीओए के तहत ग्राहक के डीपी खाते में पड़े शेयरों पर एक्सपोज़र की अनुमति नहीं होगी।
    8.बेचे गए शेयरों के मूल्य पर टी और टी + 1 दिन पर एक्सपोज़र की अनुमति नहीं होगी. यह T + 2 पर यानी वास्तविक भुगतान दिवस पर दी जाएगी।
  8. वे प्लेज शेयर जिन पर मार्जिन 100% है और illiquid शेयरों पर एक्सपोज़र नहीं दिया जाएगा।
  9. अगर कोई ग्राहक 1 वर्ष के तक व्यापार नहीं करता है तो उसे फिर से केवाईसी पूरा करने की आवश्यकता होगी। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि इससे पहले आपके खाते में कम से कम एक बार ट्रेड करना होग।

(1) बदल जाएंगे मार्जिन से जुड़े नियम- शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले जानते हैं कि मार्जिन दो प्रकार के होती है। एक तो है कैश मार्जिन (आपने जितना पैसा आपके ब्रोकर को दिया है, उसमें कितना सरप्लस है, उतने की ही ट्रेडिंग आप कर सकते हैं) दूसरा स्टॉक मार्जिन (इस प्रक्रिया में ब्रोकरेज हाउस आपके डीमैट अकाउंट से स्टॉक्स अपने अकाउंट में ट्रांसफर करते हैं और क्लियरिंग हाउस के लिए प्लेज मार्क हो जाती है)। इस सिस्टम में अगर कैश मार्जिन के ऊपर ट्रेडिंग में कोई नुकसान होता है तो क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क किए स्टॉक को बेचकर राशि वसूल कर सकता है।

(2) नए नियमों में क्या होगा- सेबी ने मार्जिन ट्रेडिंग को नए सिरे से तय किया है। अब तक प्लेज सिस्टम में निवेशक की भूमिका कम और ब्रोकरेज हाउस की ज्यादा होती थी। वह ही कई सारे काम निवेशक की ओर से कर लेते थे। नए सिस्टम में शेयर आपके अकाउंट में ही रहेंगे और वहीं पर क्लियरिंग हाउस प्लेज मार्क कर देगा। इससे ब्रोकर के अकाउंट में शेयर नहीं जाएंगे। मार्जिन तय करना आपके अधिकार में रहेगा।
(3) आम निवेशकों को होगा सीधा फायदा- कार्वी वाले मामले की वजह से सेबी को नए नियम लाने पड़े हैं। दरअसल प्लेज किए जाने वाले शेयर के ट्रांसफर ऑफ टाइटल (ऑनरशिप) को लेकर दिक्कतें थी। कुछ ब्रोकर्स ने इसका दुरुपयोग किया। अब शेयर निवेशक के डीमैट खाते में ही रहेंगे। ब्रोकर इनका दुरुपयोग नहीं कर सकेगा।

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