Dussehra 2020 Ravan Putla Dahan

जानिए कब है दशहरा? रावण दहन और विजयादशमी पूजा का शुभ मुहूर्त व महत्व

शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। प्रत्येक दिन 9 दुर्गा के विभिन्न स्वरुपों की तिथियों के अनुसार पूजा अर्चना की जा रही है। कलश स्थापना या घट स्थापना से प्रारंभ होने वाली नवरात्रि का समापन Dussehra या Vijayadashami को होता है। इस दिन मां दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है और मां दुर्गा को हर्षपूर्वक विदा किया जाता है, इस कामना के साथ कि वे अगले वर्ष भी हमारे घर पधारें और हमारे जीवन में खुशियां तथा शुभता लेकर आएं। Dussehra ​के दिन शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहीं शाम के समय में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस वर्ष Dussehra किस तारीख को है, उस दिन पूजा का मुहूर्त क्या है और रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों के दहन का मुहूर्त कब है। साथ ही हम जानेंगे कि Dussehra या Vijayadashami का महत्व क्या होता है।


कब है दशहरा 2020

हिन्दी पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर वर्ष दशहरा या Vijayadashami का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष आश्विन शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ 25 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर हो रहा है, जो 26 अक्टूबर को सुबह 09 बजे तक है। ऐसे में इस वर्ष Dussehra या Vijayadashami का त्योहार 25 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा। जानकारी के लिए शारदीय नवरात्रि की दशमी तिथि और दिवाली से 20 दिन पहले Dussehra पड़ता है।


विजयादशमी पूजा शुभ- मुहूर्त

विजयादशमी की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 12 मिनट से दोपहर 03 बजकर 27 मिनट तक है। आपको पूजा के लिए कुल 02 घंटे 15 मिनट का समय है। इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 57 मिनट से दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक है। यह कुल समय 45 मिनट का है। हालांकि बंगाल में Vijayadashami का त्योहार सोमवार 26 अक्टूबर को है। इस दिन भगवान राम, देवी अपराजिता तथा शमी के पेड़ की पूजा की जाती है।
दशहरा का महत्व

भगवान ​श्रीराम ने माता सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए लंका पर चढ़ाई की थी। रावण की राक्षसी सेना और श्रीराम की वानर सेना के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण जैसे सभी राक्षस मारे गए। रावण पर भगवान राम के विजय की खुशी में हर वर्ष दशहरा मनाया जाता है। वहीं, मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर देवताओं और मनुष्यों को उसके अत्याचार से मुक्ति दी थी, उसके उपलक्ष में भी हर वर्ष Dussehra मनाया जाता है। श्री राम का लंका विजय तथा मां दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी अवतार दशमी को हुआ था, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। Vijayadashami या Dussehra बुराई पर अच्छाई तथा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है।

मूर्ति विसर्जन

जो लोग मां दुर्गा की मूर्तियां अपने घरों पर स्थापित करते हैं, वे Dussehra शहरा के दिन उनका विसर्जन कर देते हैं। हालांकि यह दिन पर भी निर्भर करता है। इस बार दुर्गा मूर्ति विसर्जन दशहरा के अगले दिन होगा यानी 26 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन किया जाएगा।

पुतला दहना

दहशरा के दिन शाम में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाली रामलीलाओं का समापन Ravan Dahan के साथ ही होता है। हर वर्ष दशहरा के दिन रावण के पुतलों का दहन इसलिए किया जाता है कि व्यक्ति अपनी बुराइयों को नष्ट करके अपने अंदर अच्छी आदतों और व्यवहार का विकास करे। साथ ही उसे इस बात को जानना चाहिए कि विजय हमेशा सत्य की होती है। अच्छाई की होती है। असत्य या बुराई की नहीं।

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