गेहूं की रोटी खाने के कुछ खास नियम हैं जिन्हें अपनाने से शरीर को पौष्टिक तत्व आसानी से मिलते हैं। दरअसल गेहूं की रोटी बनाने के 8 से 12 घंटे के अंदर खानी चाहिए। इस समय यह अधिक पौष्टिक होती है। आपको बता दें कि पुराने समय में बासी रोटी खाने का रिवाज हुआ करता था। पहले के समय में रात के समय बनी रोटी को अक्सर सुबह के समय गर्म दूध के साथ खाया जाता था। बासी रोटी यानी 8 से 12 घंटे पहले बनी हुई रोटी पोषण के मामले में बहुत अधिक गुणकारी होती है। तो आइए आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों है।
गेहूं को जब पकाया जाता है तो पकने के करीब 8 घंटे तक स्टोर करने के बाद उसकी पोषण क्षमता प्राकृतिक रूप से बढ़ जाती है। भारत के ज्यादातर घरों में गेहूं के आटे की रोटियां खाई जाती हैं। गेहूं के आटे में कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है। साथ ही इससे प्रोटीन का पोषण भी मिलता है। बिना छाने आटे की रोटियां बनाने से उनमें फाइबर भी प्रचुर मात्रा में होता है क्योंकि गेंहू के ऊपर की महीन परत नैचुरल और पौष्टिक फाइबर से बनी होती है।
पेट संबंधी बीमारियां दूर होती हैं
प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट के मिश्रण को जब एक निश्चित तापमान पर गर्म करने के बाद निश्चित समय तक ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है तो उसमें पेट और आंतों के लिए महत्वपूर्ण अच्छे बैक्टीरिया का निर्माण हो जाता है। ये पेट में जाकर पाचन तंत्र और आंतों को सेहतमंद रखने का काम करते हैं। ऐसे में बासी रोटियां खाने से पेट संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।