जब शहर जल रहा था तब गृहमंत्री अमित शाह कहा थे?- शिवसेना

दिल्ली हिंसा पर शिवसेना ने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए गृहमंत्री Amit Shah पर निशाना साधा है। शिवसेना ने ‘सामना’ में लिखा है कि जब दिल्ली जब जल रही थी, लोग जब आक्रोश व्यक्त कर रहे थे तब गृहमंत्री Amit Shah कहां थे? क्या कर रहे थे? ऐसा सवाल पूछा जा रहा है। दिल्ली के दंगों में अब तक 37 लोगों की बलि चढ़ गई है और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। मान लें केंद्र में कांग्रेस अथवा दूसरे गठबंधन की सरकार होती तथा विरोधी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का महामंडल होता तो दंगों के लिए Home Minister का इस्तीफा मांगा गया होता।

शिवसेना ने कहा कि Home Minister के इस्तीफे के लिए दिल्ली में मोर्चा व घेराव का आयोजन किया गया होता। राष्ट्रपति भवन पर धावा बोला गया होता। Home Minister को नाकाम ठहराकर ‘इस्तीफा चाहिए!’ ऐसी मांग की गई होती। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि BJP सत्ता में है और विपक्ष कमजोर है। फिर भी सोनिया गांधी ने Home Minister का इस्तीफा मांगा है। देश की राजधानी में 37 लोग मारे गए उनमें पुलिसकर्मी भी हैं तथा केंद्र का आधा मंत्रिमंडल उस समय अमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति TRUMP को सिर्फ ‘नमस्ते, नमस्ते साहेब!’ कहने के लिए गया था। केंद्रीय Home Minister व उनके सहयोगी अमदाबाद में थे, उसी समय गृहविभाग के एक गुप्तचर अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या दंगों में हो गई। लगभग 3 दिनों बाद PM मोदी ने शांति बनाए रखने का आह्वान किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल चौथे दिन अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे, इससे क्या होगा? जो होना था वो नुकसान पहले ही हो चुका है। सवाल ये है कि इस दौर में हमारे Home Minister का दर्शन क्यों नहीं हुआ? देश को मजबूत Home Minister मिला है लेकिन वे दिखे नहीं, इस पर हैरानी होती है।


‘सामना’ में कहा है कि विधानसभा चुनाव में Amit Shah गृहमंत्री होते हुए भी घर-घर प्रचार का पत्रक बांटते घूम रहे थे तथा इस प्रचार कार्य के लिए उन्होंने भरपूर समय निकाला था। परंतु जब पूरी दिल्ली हिंसा की आग में जल रही थी तब यही Home Minister कहीं दिखाई नहीं दिए और इस पर विपक्ष संसद के अधिवेशन में हंगामा कर सकता है। विपक्ष ने दिल्ली में दंगों का सवाल उठाया ही तो उन सभी को देशद्रोही ठहराया जाएगा क्या? ये सवाल है। दिल्ली दंगों के संदर्भ में एक याचिका पर दिल्ली HC में सुनवाई चल रही है। दिल्ली की कानून-व्यवस्था स्पष्ट रूप से धराशायी हो गई है। 1949 के दंगों की तरह भयंकर हालात निर्माण न हों, ऐसी टिप्पणी न्यायाधीश मुरलीधर ने की। न्यायाधीश मुरलीधर ने जनता के मन के आक्रोश को एक आवाज दे दी। ‘सभी आम नागरिकों को ‘जेड सुरक्षा’ देने का वक्त आ गया है।’ ऐसी टिप्पणी न्यायाधीश मुरलीधर ने की और अगले 24 घंटों में न्यायाधीश मुरलीधर के तबादले का आदेश राष्ट्रपति भवन से निकल गया। केंद्र व राज्य सरकार की न्यायालय ने आलोचना की थी इसी का ये परिणाम है। सरकार ने न्यायालय द्वारा व्यक्त किए गए ‘सत्य’ को मार दिया। न्यायालय को भी सत्य बोलने की सजा मिलने लगी है क्या? न्यायमूर्ति मुरलीधर ने गलत क्या कहा? उन्होंने सत्य कहा इतना ही न।

देश का विपक्ष बेबस है अन्यथा दिल्ली में 37 लोगों की हत्या के लिए सरकार की गर्दन पर बैठकर सवाल पूछा गया होता कि 37 लोगों की बलि चढ़ी या उन्हें बलि चढ़ाने दिया गया वो भी राष्ट्रपति TRUMP की मौजूदगी में। ये उलझन ही है। शाहीन बाग का मामला भी सरकार खत्म नहीं कर सकी। वहां सर्वोच्च न्यायालय के मध्यस्थ नाकाम सिद्ध हुए। दिल्ली में कई जगहों पर आज भी तनाव और पत्थरबाजी जारी है। यदि देश की राजधानी ही सुरक्षित नहीं होगी तो फिर क्या सुरक्षित है, ऐसा सवाल उठता है। 1949 के दंगों की स्थिति इससे अलग नहीं थी।

उन्होंने कहा कि उस समय भी सरकार छुपकर बैठी थी और राजनैतिक दंगाइयों को खुली छूट मिली थी लेकिन 30-35 वर्षों के बाद उन दंगों का नेतृत्व करनेवाले जेल में गए, इसे भूलना नहीं चाहिए। राष्ट्रवाद का उन्माद और धर्मांधता की मदमस्ती ये दो प्रवृत्तियां देश को 300 वर्ष पीछे धकेल रही हैं। भड़काऊ भाषण ही राजनीति में निवेश बन गए हैं। देश की अर्थव्यवस्था साफतौर पर धराशायी हो रही है लेकिन भड़काऊ भाषण का निवेश और उसका बाजार जोरों पर चल रहा है। केंद्र के एक मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश अब दिल्ली HC ने दिया है, जिन्होंने ये आदेश दिया है उस न्यायमूर्ति को ही सरकार ने सजा दे दी। वीर सावरकर के गौरव के लिए जो लोग राजनैतिक नौटंकी कर रहे हैं वे देश के गौरव के बारे में सोचें। राजधानी की हिंसा का धुआं देश का दम घोंट रहा है। उस धुएं में देश के Home Minister कहीं भी दिखाई नहीं देते। चिंता करने जैसा ये मामला है!

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1