व्यापारियों की सीएम केजरीवाल से दिल्‍ली में 15 दिन के लॉकडाउन की मांग

देश और दिल्‍ली में लगातार रिकॉर्ड तोड़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए व्‍यापारी दिल्‍ली में 15 दिन का लॉकडाउन लगाने की मांग कर रहे हैं। व्‍यापारियों का कहना है कि दिल्‍ली में लगाया गया वीकेंड कर्फ्यू नाकाफी है। ऐसे में दिल्‍ली के LG और CM अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली में लॉकडाउन लगाएं।

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से उपराज्‍यपाल और CM केजरीवाल को भेजे पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी का कहर देश भर में बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है और दिल्ली में यह जिस तेजी से बढ़ रहा है उसको देखते हुए दिल्ली के नागरिकों और व्यापारियों के हित में कॉन्फ़ेडरेशन तुरंत प्रभाव से कम से कम 15 दिन का लॉकडाउन लगाया जाए और दिल्ली के सभी बॉर्डर पर कोरोना की जांच के सख्त इंतजाम किये जाएं। जिससे कोरोना की बढ़ती दर पर अंकुश लगाया जा सके। कैट ने कहा की इस कदम से निश्चित रूप से दिल्ली की व्यापारिक एवं आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होंगी लेकिन अब जान को प्रथम वरीयता पर रखना होगा।

कैट ने कहा कि कल दिल्ली के CM केजरीवाल ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है की दिल्ली में बेड की कमी है और दवाइयां, ऑक्सीजन आदि की भी किल्लत है। केजरीवाल का यह कहना अपने आप में पर्याप्त है कि यदि जल्द कोई सख्त कदम नहीं उठाये गए तो स्तिथि के बेकाबू होने की सम्भावना है।

वहीं, कैट ने एक बार फिर PM नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया है कि दिल्ली सहित देश भर के जिन राज्यों में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है उन सभी राज्यों में जिला स्तरों पर कोरोना से रोकथाम की पुख्ता योजना बनाई जाए। PM ने स्वयं कहा है की छोटे कन्टेनमेंट जोन के आधार पर इस बार कोरोना की रोकथाम के उपाय होने चाहिए और जिला स्तर PM के कथन का उपयुक्त आधार है।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पिछले एक महीने के आंकड़े इस बात के गवाह हैं की अगर कोरोना की श्रंखला को तुरंत नहीं रोका गया तो दिल्ली में कोरोना का बम फूटना तय है। दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि 18 मार्च को दिल्ली में 80253 टेस्ट हुए थे जिसमें 607 कोरोना के मामले थे और कोरोना की दर 0 .76 % थी जबकि 1 अप्रैल को दिल्ली में 78100 टेस्ट हुए और 2790 कोरोना के मामले निकले और कोरोना दर 3 .5 % थी। वहीं 8 अप्रैल को 91800 टेस्ट हुए और 7437 कोरोना के मामले निकले जिसकी कोरोना दर 8 .10 % थी और कल 17 अप्रैल को दिल्ली में 99200 टेस्ट हुए जिसमें 24375 कोरोना के मामले निकले जिसकी कोरोना दर 24 .57 % थी। यह आंकड़े बेहद भयावह हैं और स्पष्ट दर्शाते हैं की दिल्ली में कोरोना अपना विकराल रूप ले चुका है।

कैट ने कहा कि सरकार कुछ भी दावा करे लेकिन सच्चाई यह है की दिल्ली में मेडिकल व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है क्योंकि जिस तादाद में मरीज बढ़ रहे हैं, उस तादाद में मेडिकल सुविधएं हैं ही नहीं। अस्पतालों में बिस्तर नहीं है, ICU खाली नहीं हैं , कोरोना मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे हैं वहीँ कैट के प्रदेश महामंत्री तथा दिल्ली ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के महामंत्री श्री आशीष ग्रोवर ने बताया की दिल्ली के विभिन्न भागों से लोग बड़ी तादाद में कुछ कोरोना से सम्बंधित विशेष दवाइयों की लगातार मांग कर रहे हैं लेकिन वो दवाइयां बिलकुल भी उपलब्ध नहीं है जिसके कारण मरीजों में हताशा और निराशा है। लोग अपने आप को असहाय महसूस कर रहे हैं। सच तो यह है कि पैसे तो हैं लेकिन मरीज को ईलाज उपलब्ध नहीं है।

व्‍यापारियों का कहना है कि वास्तविकता को देखते हुए अब एक बार कोरोना की श्रंखला को तोडना बेहद जरूरी हो गया है और इसके लिए न केवल प्रारंभिक तौर पर लॉक डाउन लगाया जाए बल्कि एयरपोर्ट, बस स्टैंड तथा रेलवे स्टेशनों और दिल्ली के सभी बॉर्डर पर दिल्ली में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की कोरोना जांच अवश्य की जाए और इसमें कोई कोताही को बर्दाश्त नहीं किया जाए। लॉक डाउन का सख्ती से पालन हो। लॉकडाउन में पास केवल सीमित संख्यां में उन व्यक्तियों को ही दिए जाएं जिनका मूवमेंट जरूरी है।

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