देश में कोरोना मरीजों के शवों (Corpses of Corona Patients) को लेकर बवाल मचा हुआ है। कुछ राज्यों में तो कोरोना मरीजों के शवों का अदला-बदली भी शुरू हो गया है। कहीं 2 जिलों के सीमा विवाद में शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है। बीते कुछ दिनों से दिल्ली सहित कई राज्यों में शवों के बदलने का मामला सामने आ रहा है। परिजन अस्पताल प्रशासन पर शव बदलने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि यह जानबूझ कर नहीं किया जा रहा है। अस्पताल प्रबंधनों का कहना है कि कोरोना वायरस के खौफ के कारण इस तरह की गलतियां हो रही हैं।
2 दिन पहले ही दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल LNJP में एक मरीज का शव बदल कर दूसरे को दे दिया गया। शव को सुपुर्दे-खाक करने के बाद पता चला कि यह शव तो किसी और का था। बीते मंगलवार को ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से भी एक कोरोना मरीज का शव गायब हो गया है। यह घटना मुंबई राजावाड़ी अस्पताल की है, जिसका संचालन BMC करता है।
बीते रविवार को LNJP अस्पताल में एक खबर आग की तरफ फैली कि मोर्चरी से एक शव गायब हो गया है। प्रशासन ने जब जांच शुरू की तो पता चला कि वह शव किसी और परिवार को सौंपा जा चुका है। और तो और उस शव को किसी और के परिजनों ने शनिवार को ही सुपुर्दे खाक भी कर दिया।
बता दें कि बीते 2 जून को सांस की दिक्कत और बुखार की समस्या को लेकर जामा मस्जिद इलाके का रहने वाला एक शख्स नईमुद्दीन को LNJP अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उसी दिन रात को नईमुद्दीन की मौत हो जाती है। शव सौंपे जाने को लेकर अस्पताल प्रशासन ने कहा कि क्योंकि कोरोना जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है इसलिए शव को अभी नहीं दे सकते। डॉक्टरों ने नईमुद्दीन के भाई को कहा कि शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया है। इसके बाद परिजन घर चले गए।
मृतक नईमुद्दीन के भाई अमीनुद्दीन के मुताबिक, डॉक्टरों के कहने के बाद वे लोग घर चले गए लेकिन, भाई के लिए मातम और परिजनों की इच्छा को देखते हुए रोज अस्पताल आ कर भाई के शव का हाल-चाल लेता था। इसी बीच 6 जून को पता चला कि रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद जब शव लेने मोर्चरी पहुंचा तो शव नहीं मिला।
दिल्ली सरकार के सबसे बड़े COVID अस्पताल के एक डॉक्टर कहते हैं, ‘अस्पताल प्रशासन कोरोना मरीज की मौत के बारे में मृतक के परिजनों को समय पर ही सूचित कर देती है, लेकिन ज्यादातर मामले में परिजन लेट-लतीफी करते हैं। CORONA केसेज में परिजन टाइम पर शव को ले नहीं जा रहे हैं। कुछ केस में तो शव को ले जाने से भी लोग इनकार कर रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में बॉडी को ज्यादा दिन तक संभाल कर रखना संभव नहीं होता है और फिर हमलोग उसको दूसरे जगहों पर शिफ्ट करते हैं। इसी दौरान कुछ अदला-बदली के मामले भी आ जाते हैं। लेकिन, परिजन की ओर से शव लेने में पहुंचने में देरी करने और नहीं पहुंचने के कारण ही ऐसी घटनाएं ज्यादा हो रही हैं।’