दुनियाभर में Corona महामारी के प्रसार को रोकने की लगातार कोशिशें की जा रही हैं। एक तरह कई देशों के वैज्ञानिक Corona की वैक्सीन तैयार करने में जुटे हुए हैं तो दूसरी ओर कई तरह की दवाओें का इस्तेमाल भी हो रहा है। इन्हें Corona की दवा के रूप में लांच किया जा रहा है। वहीं, दुनिया के कई वैज्ञानिकों की नजर Herd immunity पर भी टिकी हुई है। Corona पर लगाम लगाने के लिए कई बार Herd immunity पर बात हो चुकी है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही इसको लेकर चेतावनी जारी कर चुका है।
लैंसेट के एक जर्नल में प्रकाशित एक खुले पत्र में 80 अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने Herd immunity को लेकर अपनी राय स्पष्ट की है। पत्र में लिखा गया है कि Covid-19 के प्रसार को रोकने के लिए हर्ड इम्यूनिटी के उपयोग करने का विचार वैज्ञानिक प्रमाणों द्वारा असमर्थित एक खतरनाक सोच है। विशेषज्ञों ने कहा कि निर्णायक और तत्काल कार्य करना महत्वपूर्ण है।
लैंसेट ने दावा किया कि वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि मौजूदा प्रतिबंधों से जनता में व्यापक लोकतांत्रिकता और कम भरोसा पैदा हुआ है और संक्रमण की दूसरी लहर के डर से लोगों के अंदर Herd immunity को लेकर दिलचस्पी पैदा हुई है। सभी वैज्ञानिकों ने जोर देकर कहा कि Corona संक्रमण से प्रतिरक्षा पर निर्भर कोई भी महामारी प्रबंधन रणनीति त्रुटिपूर्ण है।
क्या है हर्ड इम्यूनिटी ?
Herd Immunity वह प्रक्रिया है, जिसमें एक बड़े समूह में बीमारी फैलने से इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती है। बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक होने वाले लोग ‘इम्यून’कहे जाते हैं। इससे उन्हें स्थायी इलाज में मदद मिलती है।
हर्ड इम्यूनिटी पर WHO ने क्या कहा ?
दुनिया के ज्यादातर विशेषज्ञ Corona को लेकर Herd immunity की रणनीति को सही नहीं बताते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो और खसरा बीमारी का उदाहरण देते हुए इसको लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि Herd immunity एक कॉन्सेप्ट है, जिसका इस्तेमाल टीकाकरण में होता है। इसमें एक सीमा तक टीकाकरण हो जाने के बाद ही पूरी आबादी को किसी वायरस से बचाया जा सकता है।