‘कोरोना वाले बाबा’ की दुकान बंद, तावीज देकर ठगता था

कोरोना के संक्रमण के बीच अंधविश्वास का बाजार भी गर्म है। कई जगह इसके इलाज का दावा किया जा रहा है। डालीगंज में तो एक व्यक्ति ने ‘कोरोना वाले बाबा’ का पोस्टर तक लगवा दिया। वह 11 रुपये में कोरोना से बचाने वाली ताबीज बनाने का दावा कर रहा था। यह पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तब पुलिस ऐक्शन में आई और पोस्टर हटवाकर ताबीज बनाने का दावा करने वाले व्यक्ति को फटकार भी लगाई।

कोरोना वाले बाबा की तरह पढ़े-लिखे डॉक्टर भी इस बीमारी की दवा देने का झूठा दावा कर रहे हैं। आलमबाग में ही पिछले दिनों डॉ. विभा पाण्डेय ने अपनी क्लिनिक के बाहर कोरोना से बचाव वाली दवा का पोस्टर लगवा दिया था। इसका पता चलने पर CMO टीम ने क्लिनिक के बाहर लगा पोस्टर हटवाया था।

फिलहाल कोरोना के इलाज की कोई दवा नहीं बनी है। डॉक्टरों के मुताबिक, इससे बचाव के लिए सावधानी बेहद जरूरी है। इसके साथ इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होनी चाहिए।

राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के डॉ. संजीव रस्तोगी के मुताबिक, किसी भी वायरस की चपेट में बच्चे और बुजुर्ग जल्दी आते हैं। ऐसे में इन्हें खानपान और दिनचर्या का खास ध्यान रखना चाहिए। कोरोना की अभी कोई दवा नहीं है। इस कारण ऐसी अफवाह से बचने की जरूरत है।

राजकीय होयोपैथिक कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एके वर्मा के मुताबिक, कई लोग आर्सेनिक एल्बम को कोरोना की दवा बता रहे हैं, जबकि यह किसी भी फ्लू से बचने की दवा है। इससे सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

KGMU के माइक्रोबायॉलजी विभाग की प्रो. शीतल वर्मा के मुताबिक, नेचर इंडिया के एक शोध में सामने आया है कि भारतीयों का इम्यून सिस्टम अन्य देशों के लोगों की तुलना में बेहतर है। फिलहाल कोरोना की दवा नहीं बनी है, लेकिन दूसरे वायरस में दी जाने वाली दवाओं से इसका इलाज संभव है।

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