लोक जनशक्ति पार्टी के विवाद ख़त्म होते अभी नहीं दिखे रहे है । लोक जनशक्ति पार्टी की लड़ाई अब अदालतों में भी तेज होती दिख रही है। दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने पार्टी से अलग हुए गुट को लोकसभा में बतौर एलजेपी तथा उसके नेता को सदन में एलजेपी के नेता के रूप में मान्यता देने को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मामला पहले से ही लोकसभा अध्यक्ष (Lok Shabha Speaker) के पास लंबित है, इसलिए कोर्ट के आदेश का औचित्य नहीं है। मिली जानकारी के अनुसार चिराग पासवान अब हाईकोर्ट की डबल बेंच में अपील करने का मन बना चुके हैं।
आपको बात देण कि दिल्ली हाईकोर्ट ने दो दिन पहले चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बीते 14 जून को पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में एलजेपी संसदीय दल का नेता बनाने को चुनौती दी थी। चिराग पासवान की ओर से दलील दी गई कि पशुपति कुमार पारस सहित पांच सांसदों को एलजेपी निष्काषित कर दिया गया है। ऐसे में उन्हें पार्टी की तरफ से लोकसभा का नेता नहीं बनाया जा सकता है। कोर्ट में चिराग पासवान ने यह भी कहा कि एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 75 फीसद से अधिक पदाधिकारी उनके साथ हैं। इसके अलावा पार्टी के विवाद का मामला चुनाव आयोग में लंबित है। ऐसे हालात में पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में एलजेपी का नेता नहीं बनाया जायेगा । सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान के वकील की सभी दलीलों को खारिज कर दिया। याचिका पर फैसला देते हुए कोर्ट ने कहा कि यह मामला अभी लोकसभा अध्यक्ष के पास लंबित है, इसलिए इसपर फिलहाल आदेश देने का कोई औचित्य ही नहीं है। इसके बाद अब चिराग हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ डबल बेंच में अपील करने के लिए कमर कस चुके है ।