तो इस डर से पैंगोंग से पीछे हट रहा ड्रैगन? चीन की दुखती नस को यूं दबा रहा भारत

चीन (China) ने कहा है कि भारत (India) और चीन की सेना ने बुधवार से पैंगोंग झील (Pangong Tso lake) के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से पीछे हटना शुरू कर दिया है। हालांकि भारत ने अब तक इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया है। खबर के मुताबिक मई 2020 के बाद चीनी और भारतीय सेना के बीच हुई झड़प में कम से कम 20 भारतीय और 45 चीनी सैनिक मारे गए। इस घटना के बाद भारत और चीन ने इस क्षेत्र में लगभग 50,000 सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी थी।

चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया है कि भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की नौवें दौर की वार्ता में बनी सहमति के बाद यह कदम उठाया गया है। 16 घंटे की लंबी मैराथन नौवें दौर की सैन्य वार्ता के बाद, दोनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास विवादित सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सीमावर्ती सैनिकों को शीघ्र पीछे हटाने पर जोर देने के लिए सहमत हुए हैं। दोनों देशों की सेनाओं की बातचीत में पहली बार इतना सकारात्मक रुख दिखा था। चीन की तरफ से कहा गया है, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि सीमा पर तैनात सैनिकों की तरफ से संयम बनाए रखने की कोशिश जारी रखेंगे, ताकि LAC पर स्थिति को स्थिर व नियंत्रण में रखा जा सके।

बता दें, पिछले साल मई महीने से भारतीय सेना (Indian Army) और चीनी सेना लद्दाख में पैंगोंग झील के पास और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में एलएसी (LAC) के पास आमने-सामने हैं। दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध बना हुआ है। सेनाओं के बीच हिंसक झड़प भी देखी गईं। इनमें से एक बड़ी झड़प 15-16 जून की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में देखी गई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस झड़प में 40 से अधिक चीनी सैनिक मारे जाने की भी रिपोर्ट्स सामने आई। आमने-सामने की स्थिति (फेस-ऑफ) के बीच भारत ने लद्दाख में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की तैनाती की।

जुलाई में लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों पक्षों के बीच गतिरोध कम जरूर हुआ, मगर पैंगोंग झील और पीपी 17 ए इलाके में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गतिरोध जारी रहा। अगस्त में भारतीय सैनिकों ने LAC के साथ चुशुल सेक्टर में कई सामरिक ऊंचाइयों पर अपनी पहुंच स्थापित कर ली थी। हालांकि दोनों देशों के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तरों पर कई दौर की बातचीत जारी रही। 24 जनवरी को कोर कमांडर स्तर की बैठक की नौवें दौर की बैठक आयोजित की गई। इसी दौरान सेना पीछे हटाने का निर्णय लिया गया.।

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