चीन (China) की एक कंपनी ने बीजिंग (Beijing) और न्यूयॉर्क (New York) के बीच एक घंटे में उड़ान भरने में सक्षम हाइपरसोनिक प्लेन (Hypersonic Plane) को पेश किया है. इस हाइपरसोनिक विमान को हैरान कर देने वाली 7,000 मील प्रति घंटे (11265 किमी प्रति घंटा) की रफ्तार से उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया जा रहा है. विमान का परीक्षण अगले साल शुरू होने वाले हैं. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये विमान हवा में उड़ान भरने के लिए 2024 तक तैयार हो जाएगा. स्पेस ट्रांसपोर्टेशन (Space Transportation) नामक कंपनी द्वारा इस विमान को तैयार किया जा रहा है.
‘द सन’ ने स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि इस फ्यूचरिस्टिक प्लेन को स्पेस ट्रांसपोर्टेशन फर्म विकसित कर रही है. माना जा रहा है कि यह दशक के अंत तक एक छोर से दूसरे छोर तक उड़ान भरना शुरू कर देगा. कंपनी ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें रॉकेट विंग्स से उड़ने वाले विमान के एनिमेशन को देखा जा सकता है. टेकऑफ के बाद विमान रॉकेट से संचालित विंग्स से अलग हो जाता है और अपनी मंजिल की ओर चला जाता है, जबकि विंग और बूस्टर फिर लॉन्च पैड पर वापस आ जाते हैं.
एक घंटे में न्यूयॉर्क से बीजिंग पहुंच सकेंगे
कंपनी का दावा है कि यह सिर्फ एक घंटे में न्यूयॉर्क को चीन की राजधानी से जोड़ने में सक्षम होगा. फर्म ने चीनी मीडिया को बताया, ‘हम हाई-स्पीड, पॉइंट-टू-पॉइंट ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक ‘पंखों वाला रॉकेट’ विकसित कर रहे हैं. यह सैटेलाइट ले जाने वाले रॉकेट की तुलना में सस्ता होगा और पारंपरिक विमानों की तुलना में तेज होगा.’
प्रस्तावित हाइपरसोनिक विमान बोइंग 737 से बड़ा है
हाइपरसोनिक विमान चीन की हाई-टेक योजनाओं में प्रमुख हैं, क्योंकि देश ने इस क्षेत्र में बड़ी मात्रा में धन और संसाधन झोंक दिए हैं. पिछले साल के अंत में एक ऐसे विमान के निर्माण की योजनाओं का खुलासा किया गया था, जो सिर्फ एक घंटे में 10 लोगों को पृथ्वी पर कहीं भी लेकर जा सकता था. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि प्रस्तावित 148 फीट का हाइपरसोनिक विमान बोइंग 737 से बड़ा है और इसके मुख्य भाग के ऊपर दो इंजन लगे हैं.
NASA के छोड़े डिजाइन पर तैयार किया परमाणु मिसाइल इंजन
बता दें कि कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) के नेतृत्व वाली सरकार 6,000 मील प्रतिघंटा परमाणु मिसाइल इंजन विकसित कर रहा है. इस मिसाइल इंजन के डिजाइन को कथित तौर पर अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA द्वारा छोड़ दिया गया था. NASA का कहना था कि इसकी लागत बहुत अधिक है.