अफगानिस्तान पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से हालात हर दिन खराब होते जा रहे हैं. अस्पतालों से लेकर स्कूलों तक बदहाली है. ड्रग की समस्या (Afghanistan Drug Problem) को खत्म करने के लिए तालिबान ने रिहैब सेंटर्स बनाए थे. यहां हजारों लोग भर्ती हैं, मगर यहां कि व्यवस्था इतनी खराब है कि कैदी आदमखोर बनते जा रहे हैं. इस बात की भी जानकारी है कि कुछ ने बिल्लियों और यहां तक कि इंसानी मांस को खाकर जिंदा रहने शुरू कर दिया है.
पिछले महीने डेनमार्क एक पत्रकार से बात करते हुए ऐसे ही एक ‘अस्पताल’ से रिकवर होकर आए व्यक्ति ने कहा, ‘उन लोगों ने एक व्यक्ति को जान से मार दिया और उसकी लाश को जलाया. कुछ लोगों ने उसकी आंतों को खाया.
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान लंबे समय से अवैध अफीम और हेरोइन का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा है. 2017 में अफगानिस्तान ने दुनिया में अकेले ड्रग्स की 80 प्रतिशत से अधिक की आपूर्ति की. इस साल 1.4 अरब डॉलर का ड्रग्स का व्यापार किया गया.
यूएन ऑफिस ऑफ ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC) के काबुल कार्यालय के प्रमुख सीजर गुड्स ने रॉयटर्स को बताया, तालिबान ने अपनी आय के मुख्य स्रोतों में से एक के रूप में अफगान अफीम व्यापार पर भरोसा किया है. अधिक उत्पादन की वजह से ड्रग्स सस्ता हो गया है और ये अधिक लोगों तक पहुंच सकता है